उरई(जालौन)।हाफ़िज़ मुहम्मद शोएब अंसारी ने बताया कि हर धर्म मे खुशी मनाने के कई पर्व होते है उसी प्रकार के मुसलमानों के लिए ईद उल फित्र है मगर यहाँ खुशी का अभिप्राय अपनी निजी खुशी नही बल्कि इसका सैद्धान्तिक अर्थ है कि हम दूसरों को कितनी खुशी दे सकते है वैसे यह भी कहा जाता है कि ईद अल्लाह की ओर से उन लोगो का इनाम है जिन्होंने रमज़ान के पूरे माह रोज़े रखे है आजकल गर्मी का मौसम है और रोज़े में एक व्यक्ति सबेरे तीन बजे से लेकर शाम सात बजे तक बिना खाए ओर पानी की एक बूंद पिये बिना रहता है इसका एक भावनात्मक पहलू यह भी है कि हमे पता चल जाता है कि एक निर्धन ओर फकीरों की क्या स्थिति रहती है इसके अतिरिक्त तीस रोजो में हर व्यक्ति को हर प्रकार की बुराई काम क्रोध लोभ मोह आदि से किनारा करना होता है वैसे भी ईद में जो शब्द फित्र आता है उसका अर्थ होता है कि ईद की नमाज़ एवं त्योहार से पूर्व फितरा यानी दान देना ताकि उससे निर्धन लोग भी हँसी-खुशी त्योहार मना सके ईद का एक किस्सा है हज़रत मुहम्मद स०ल०ह जब मक्का की किसी सड़क से गुजर रहे थे तो उन्हें रोते हुए एक अनाथ बच्चा दिखाई दिया जो कह रहा था कि उसका कोई नही है जब आपने उसे देखा तो उसका पुचकारा ओर अपने साथ ले जाकर उसे कपडे दिलवाए भोजन ओर मिठाई दिलवाई वह सब लेकर बच्चा खुशी-खुशी दौडता हुआ अपने ठिकाने पर गया और सबको बताया कि इस प्रकार हज़रत मुहम्मद ने उसके आँसू पोछे और औरो की तरह उसे भी त्योहार की खुशियों में शामिल किया इस्लाम की भी यही भावना है कि अगर आपके पड़ोसी ने खाना नही खाया तो आपका कर्तव्य बनता है कि उसके पास जाए ओर जिस रूप से भी हो सके सहायता करे आमतौर पर ईद का त्योहार धार्मिक अधिक समाजिक भावनाओ से जुड़ा हुआ है इसमें कोई दोहराई नही है कि जहाँ तक साम्प्रदायिक सदभाव ओर आपसी मेल-जोल की भावना का प्रश्न है ईद उस पर खरी उतरती हैं।
ईद का अर्थ होता है-प्रसन्नता
रिपोर्ट-अमित कुमार क्राइम रिपोर्टर उरई जनपद जालौन