जालौन। बांसतिक नवरात्र के आठवें दिन बुधवार को मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ी। देवी भक्तों ने माता के महागौरी स्वरूप की पूजा अर्चना के उनका पूजन किया और कन्या भोज कर मां को प्रसन्न करने का प्रयास किया।
नवरात्र केवल व्रत और उपवास का पर्व नहीं है। यह नारी शक्ति और कन्याओं के सम्मान का भी पर्व है। नवरात्रि के दौरान अष्टमी पूजन का विशेष महत्व माना जाता है। इस दिन मां दुर्गा के महागौरी रूप का पूजन किया जाता है। सुंदर, अति गौर वर्ण होने के कारण इन्हें महागौरी कहा जाता है। नगर व ग्रामीण क्षेत्र में आठवें दिन महागौरी की पूजा अर्चना देवी भक्तों द्वारा की गई मंदिरों में हर गली मुहल्लों में जयमता दी के जयकारे सुनाई दे रहे थे। देवी भक्तों ने चावल, रोरी, हल्दी, पुष्प, पान आदि से महागौरी की पूजा अर्चना की।

पं. अरविंद बाजपेई बताते हैं कि माता जब 8 वर्ष की बालिका थीं, तब देवमुनि नारद ने इन्हें इनके वास्तविक स्वरूप से परिचित कराया। फिर माता ने शिवजी को पति के रूप में पाने के लिए तपस्या की। सिर्फ 8 साल की आयु में घोर तपस्या करने के लिए इनकी पूजा नवरात्रि के आठवें दिन की जाती है। मां महागौरी परम कल्याणकारी हैं। ये ममता की मूरत हैं और भक्तों की सभी जरूरतों को पूरा करने वाली हैं। आर्थिक कष्ट से परेशान व्यक्ति मां महागौरी की पूजा आपके आर्थिक कमी और परेशानी को दूर कर सकते हैं। इसके अलावा महागौरी से मनचाहे विवाह का वरदान भी मिल सकता है। अष्टमी का व्रत करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिलता है।