उरई(जालौन)।जिला कृषि रक्षा अधिकारी गौरव यादव ने बताया कि दलहनी फसलों में इल्ली के प्रकोप के रोकथाम हेतु फसल चक्र अपनाएं, फसल को नवम्बर में कीट प्रकोप अपेक्षाकृत कम होता है।
पत्ती सुरंगक कीट का प्रकोप सूखी भूमि पर अधिक होता है अतः आवश्यकता अनुसार समय पर पानी देना चाहिये।
क्षतिग्रस्त पत्तियों एवं फलियो को तोड़कर कीटों सहित नष्ट कर देना चाहिये।
ऐसा करने से सुरंगक तथा फली भेदक कीटों से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। फेरोमेन प्रपंच (ट्रैप) का प्रयोग 20 प्रपंच / हेक्टेयर लगाकर इल्ली के नर वयस्क को पकड़े जिससे मादायें बिना नर के अण्डे नही दे सकती है।
जिस कारण कीट संख्या में अप्रत्याशित कमी की जा सकती है।
“टी” आकार की खुटियाँ खेतो में अवश्य लगाये जिससे उन पर पर पक्षी आकर बैठे और विभित्र प्रकार की इल्लियों को अपना भोजन बना सके।
जैविक रसायन एन०पी०वी० 250 एल०ई०/प्रति हेक्टयर 250-300 लीटर पानी में घोल कर छिडकाव करे अथवा नीम ऑयल 0.15 प्रतिशत ई.सी. 2.50-3.00 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करे।क्यूनालफास 25 प्रतिशत ई.सी. 1 लीटर प्रति हेक्टेयर। इन्डेक्साकार्ब 14.5 प्रतिशत एस.सी. 0.5 लीटर प्रति हेक्टेयर।
प्रोफेनोफास 50 प्रतिशत ई०सी० 1 लीटर/हेक्टेयर । 10. फेनवैलरेट 20 प्रतिशत् ई०सी 01 लीटर/हेक्टयर। इमामेक्टिनबेंजोएट 5 प्रतिशत एस0जी0 200-250 ग्राम प्रति हेक्टयर।
उपरोक्त किसी भी एक कीटनाशक को 500-600 ली० पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करें व 10-15 दिन के अन्तराल पर पुनः छिडकाव करें।
मटर में बुकनी रोग नियंत्रण हेतु घुलनशील सल्फर 80 प्रतिशत 1 कि०ग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से छिडकाव करे एवं चना में धब्बा रोग के नियंत्रण हेतु कापर आक्सी क्लोराइड 50 प्रतिशत डब्लू०पी० 1 किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500-600 लीटर पानी में घोलकर छिडकाव करे।
इस समय जव हवा न चल रही हो मौसम शान्त हो तो पाला पड़ने की सम्भावना रहती है ऐसी स्थिति में किसान भाई फसलों में सिचाई कर दे।
जहाँ पानी की समस्या हो वहां किसान भाई मेडो पर धुआ करे।
किसान भाई कीट रोग की समस्या का समाधान पाने हेतु कृषि विभाग के टोल फ्री व्हाटसअप नम्बरों पर 9452247111 एंव 9452257111 पर अपनी समस्या भेज कर निःशुल्क समाधान प्राप्त कर सकते है।
रिपोर्ट-अमित कुमार उरई जनपद जालौन उत्तर प्रदेश।