उरई(जालौन)।व्यक्ति को अपने जीवन में अनेक ऐसे अवसर मिलते हैं, जबकि वह अपनी क्षमता को सिद्ध कर सकता है. समाज की ऐसी स्थितियाँ जहाँ ऐसा अवसर देती हैं वहीं कुछ संगठनों, संस्थाओं, सेवाओं के द्वारा व्यक्ति को ऐसा करने का अवसर मिल जाता है. ऐसी ही सेवाओं में स्काउट का नाम आता है. उसी से सम्बद्ध रोवर्स-रेंजर्स के द्वारा व्यक्ति को जहाँ अपनी क्षमताओं को सिद्ध करने का अवसर मिलता है।
वहीं राष्ट्रसेवा का मौका भी मिलता है. उक्त विचार गांधी महाविद्यालय, उरई में रोवर्स-रेंजर्स प्रशिक्षण शिविर में शिविर संचालिका डॉ. अर्चना व्यास ने व्यक्त किये. महाविद्यालय के रोवर्स और रेंजर्स को प्रशिक्षित करने के दौरान अर्चना व्यास ने अनेक गतिविधियों को, कार्यों को संपन्न करवाया. महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. देवेन्द्र नाथ ने पाँच दिवसीय शिविर के समापन सत्र पर औपचारिकतों का निर्वहन करते हुए कहा कि देश सेवा करने का एक अवसर ये भी है।
आवश्यक नहीं कि सभी को सेना में जाने का अवसर मिले मगर इस तरह के संगठनों से जुड़कर जहाँ समाजसेवा के बारे में सीखा जा सकता है वहीं ये भी सीखा जा सकता है कि कठिन समय में कैसे खुद को संयमित रखते हुए आगे बढ़ा जाये।
गांधी महाविद्यालय में रोवर्स और रेंजर्स की अलग-अलग इकाई गठित है।
छात्राओं के लिए गठित रानी लक्ष्मीबाई रेंजर्स टीम और छात्रों के लिए गठित महात्मा गांधी रोवर्स क्रू के माध्यम से महाविद्यालय के विद्यार्थियों को स्काउट सम्बन्धी अनेकानेक गतिविधियों के बारे में जानकारी देकर प्रशिक्षित किया जाता है. इस अवसर पर रानी लक्ष्मीबाई रेंजर्स टीम की प्रभारी डॉ. ऋचा सिंह राठौर ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण से बालिकाओं को किसी भी विषम स्थिति से निपटने के तरीके ज्ञात होते हैं और वे किसी भी आपातकालीन स्थिति में देश की, समाज की सेवा करके वहाँ के नागरिकों की सहायता कर सकती हैं।
महात्मा गांधी रोवर्स टीम के प्रभारी डॉ. अरुण सिंह ने कहा कि रोवर्स-रेंजर्स के माध्यम से उसी तरह की कठिन ट्रेनिंग मिलती है जैसी कि फ़ौज के लिए आवश्यक होती है. इसके द्वारा प्रशिक्षित होने से जीवन में अनुशासन आता है, लोगों के साथ समन्वय बनाने में, उनकी सहायता करने का विश्वास जागता है।
शिविर में रोवर्स-रेंजर्स द्वारा बाँस, बल्ली, रस्सी की सहायता से पुल, सीढ़ी, कैम्प आदि का निर्माण करना सीखा. बिना बहुत अधिक संसाधनों के दैनिक कार्यों को करने का प्रशिक्षण भी शिविर में दिया गया।


प्रशिक्षित शिविर के समापन दिवस के दौरान गत वर्ष राज्यपाल पुरस्कार से सम्मानित चार रोवर्स- योगेश पाण्डेय, उमेश राजपूत, सूरज, आयुष वर्मा को प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया गया. इस अवसर पर रेंजर काजल सोनी, काजल सोनी, मुस्कान, आकांक्षा, दीक्षा द्विवेदी, राधा चतुर्वेदी, आरती प्रजापति, अनुराधा पाल और रोवर सागर आगवान, राज मिश्रा, रामहेत सिंह राजपूत, बृजेन्द्र प्रजापति, गौरव सक्सेना, ध्रुव शिवहरे आदि उपस्थित रहे. महाविद्यालय परिवार से डॉ. ऋचा पटैरिया, प्रीति परमार, डॉ. वंदना सिंह, डॉ. विश्वप्रभा, डॉ. ममता, डॉ. गोविन्द कुमार, डॉ. रवींद्र कुमार, डॉ. शिवसम्पत्त, डॉ. रवींद्र त्रिपाठी, डॉ. कुमारेन्द्र सिंह सेंगर आदि उपस्थित रहे. कार्यक्रम का सञ्चालन रक्षा अध्ययन विभाग की डॉ. ऋचा सिंह राठौर ने और आभार प्रदर्शन डॉ. अरुण सिंह ने व्यक्त किया।