कालपी(जालौन)। शाही जामा मस्जिद में शाबान के मुकद्दस रात मे हर साल की तरह इस साल भी दावत ए इस्लामी का इज्तेमा का प्रोग्राम आयोजित गया। इज्तिमा में अल्लाह और उसके नबी का जिक्र किया गया साथ ही नमाज़ बाद सभी लोगो ने अपने रब से अपने गुनाहों की तौबा की।
शाही जामा मस्जिद में आयोजित कार्यक्रम में दावत ए इस्माली के उल्माओ ने बताया कि पैगंबर-ए-आज़म हुजूर नबी ए करीम ने इरशाद फरमाया कि जब शाबान की पंद्रहवीं रात आए तो उस रात को जागो (क़याम करो) पूरी रात अल्लाह को राजी करने के लिए इबादत करो नमाज़ों में अपने सर को झुकाओ। इस मुबारक रात में अल्लाह अपने बंदों से मुखातिब होकर इरशाद फरमाता है कि क्या है कोई जो अपने गुनाहों से तौबा करे मैं उसकी तौबा कुबूल करूं, क्या है कोई रोजी मांगने वाला मैं उसे रोज़ी अता करू, क्या है कोई बख्शिश मांगने वाला कि मैं उसे बक्श दूँ यहां तक कि ये निदा होते-होते सुबह हो जाती है, तो मालूम हुआ कि ये रात बड़ी मुक़द्दस रात है। इसे यूं ही गफलत में न गुज़ारे बल्कि इसमें खूब इबादत करें। नमाज़े नफिल पढ़े अपनी तौबा की माफी मांगे। प्रोग्राम के संयोजक सदर नूर मो. असरफी (उर्फ मोनू मियां) हाफ़िज़ शाहनवाज अत्तारी, आसिफ कुरैशी, हाशिम अली, आसिफ खान, समीर खान, आफताब खान, अयान खान आदि लोग मौजूद रहे।