orai-अधिकारियों की मौन स्वीकृति से अवैध कार्य करने वालों को मिलता है बढ़ावा

उरई(जालौन) । जब जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों की मौन स्वीकृति अवैध कार्य करने वालों को मिल जाती है तो ऐसे ही अवैध कार्यों को अंजाम तक पहुंचाने में भला कोई पीछे क्यों रहेगा। ऐसा ही आलम लंबे समय से दर्जन भर से ज्यादा ट्रैवल्स एजेंसियों की बसों का है। जो गैर प्रांतों तक यात्रियों को नेशनल हाइवे से नहीं बल्कि शहर के अंदर बने एजेंसियों के कार्यालय के बाहर से यात्रियों को सुविधा मुहैया कराती देखी जा रही है। इस ओर न तो एआरटीओ का ध्यान जाता है और न ही प्रशासनिक अधिकारियों का।

उल्लेखनीय हो कि शहर के अंदर दर्जन भर से ज्यादा ट्रैवल्स एजेंसियों के कार्यालय फलफूल रहे हैं जिसमें सबसे ज्यादा कार्यालय कोंच बस स्टैंड पर है तो वहीं कुछ ट्रैवल्स एजेंसियों के कार्यालय जिला जजी के समीप खुले हुये हैं जिसमें शताब्दी ट्रैवलर्स, कमला ट्रैवलर्स, कल्पना ट्रैवल्स, चिराग ट्रेवल्स, पवन गुजरात, जगदंबा ट्रैवल्स सहित विभिन्न नामों से खुले हुये हैं जहां पर हर रोज शाम 7 बजे से कोंच बस स्टैंड पर टैªवल्स एजेंसियों की बसें लगना चालू हो जाती हैं इसी के साथ वहां पर सैकड़ों यात्रियों का जमघट लगना शुरू हो जाता है जब तक बसें अपने गंतव्य स्थान के लिये रवाना नहीं हो जाती ट्रैवल्स एजेंसियों के गुर्गे मंड़राते नजर आते हैं। अपनी-अपनी बसों मंे यात्रियों को बैठाने के लिये तीखी नोंकझोंक भी होती रहती है जिससे कभी भी शांतिभंग का खतरा भी बना रहता है। हैरत की बात तो यह है कि जिस स्थान पर टैªवल्स एजेंसियों के कार्यालय खुले हुये हैं वहां से पुलिस चैकी की दूरी बमुश्किल 100 मीटर से ज्यादा नहीं है। लेकिन इसके बाद भी हमारे चैकी प्रभारी इससे अनजान बने रहते हैं। यहां से बसें कोटा, गुजरात, अहमदाबाद, राजस्थान, सूरत, इंदौर, भोपाल सहित अनेकों गैर प्रांतों के लिये सुविधा मुहैया करायी जा रही है। जबकि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद ट्रैवल्स एजेंसियों के शहरी क्षेत्र में आने पर प्रतिबंध इस वजह से लगा दिया गया था कि उन्हें केवल नेशनल हाइवे पर बसों को संचालित करने का परमिट मिलता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या नगरीय क्षेत्र से ट्रैवल्स एजेंसियों का अवैध धंधा यूं ही संचालित होता रहेगा या फिर इस पर जिम्मेदार अधिकारी रोक लगायेंगे यह तो समय ही बतायेगा।

रिपोर्ट-सोनी न्यूज़ के लिए जालौन से अमित कुमार के साथ रंजीत सिंह उरई

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