कृषि मंत्री ने उर्वरक लेकर आ रही ट्रेनों की सुगम आवाजाही के लिए रेल मंत्री भारत सरकार से की बातचीत
रबी फसल की बुवाई के मद्देनजर उर्वरक रैक की प्राथमिकता से उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
कम आपूर्ति वाले जिलों की एक सूची तैयार कर उन्हें प्राथमिकता के आधार पर उर्वरक भेजने के लिए आवश्यक कदम उठाए गए हैं
वर्तमान में प्रदेश में 2.00 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 2.47 लाख मीट्रिक टन एनपीके उर्वरक किसानों के लिए उपलब्ध
लखनऊ।कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने प्रदेश में रबी फसल की बुवाई को सुचारु रूप से संचालित करने हेतु उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक निर्देश दिए। शनिवार को विधान भवन में आयोजित समीक्षा बैठक में कृषि मंत्री ने निर्देश दिए कि नवंबर माह के लिए भारत सरकार द्वारा आवंटित फास्फेटिक उर्वरकों की 100 प्रतिशत आपूर्ति की जाए। उर्वरक कंपनियों ने जानकारी दी कि पोर्ट से प्रदेश के लिए भेजी गई उर्वरक रैक को पहुँचने में अधिक समय लग रहा है, जिससे आपूर्ति में देरी हो रही है। पारादीप पोर्ट पर पर्याप्त उर्वरक स्टॉक होने के बावजूद, रेल रेक की अनुपलब्धता के कारण इस स्टॉक को प्रदेश के लिए समय पर भेजना चुनौतीपूर्ण हो रहा है। इस पर कृषि मंत्री ने रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव से दूरभाष पर वार्ता कर आग्रह किया कि रबी फसल की बुवाई के मद्देनजर उर्वरक रैक की प्राथमिकता से उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
इसके अतिरिक्त, कृषि मंत्री ने उर्वरक मंत्रालय के सचिव रजत कुमार मिश्रा और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के सचिव श्री देवेश चतुर्वेदी से प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्रों में कांडला पोर्ट से तथा अन्य ऐसे जिलों में, जहाँ किसानों द्वारा तेजी से बुवाई की जा रही है, उर्वरकों की आपूर्ति में प्राथमिकता दिए जाने के संबंध में भी चर्चा की।
प्रमुख सचिव सहकारिता को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए कि इफको, कृभको और अन्य निजी क्षेत्र की कंपनियाँ कम से कम 30 प्रतिशत उर्वरक पैक्स के माध्यम से वितरित करें। सभी जिलों के जिलाधिकारियों को भी निर्देशित किया गया कि वे आवश्यकतानुसार राजस्व विभाग के अधिकारियों की ड्यूटी लगाकर किसानों को आवश्यकतानुसार उर्वरक उपलब्ध कराएँ। यह भी सुनिश्चित किया गया कि उर्वरकों की कालाबाजारी और ओवर रेटिंग पर निगरानी रखी जाए तथा किसान अपनी आवश्यकता के अनुसार संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें। संतुलित मात्रा में उर्वरकों के प्रयोग हेतु टीएसपी और एनपीके उर्वरकों के बारे में किसानों को जागरूक करने के निर्देश भी दिए गए हैं।
9 नवंबर 2024 को प्रदेश में 2.00 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 2.47 लाख मीट्रिक टन एनपीके उर्वरक किसानों के लिए उपलब्ध है। सहारनपुर मंडल में 4973 मीट्रिक टन डीएपी और 5148 मीट्रिक टन एनपीके, मेरठ में 6933 मीट्रिक टन डीएपी और 7751 मीट्रिक टन एनपीके, आगरा में 6182 मीट्रिक टन डीएपी और 12291 मीट्रिक टन एनपीके, अलीगढ़ में 8303 मीट्रिक टन डीएपी और 10021 मीट्रिक टन एनपीके, बरेली में 12890 मीट्रिक टन डीएपी और 22438 मीट्रिक टन एनपीके, मुरादाबाद में 8075 मीट्रिक टन डीएपी और 23458 मीट्रिक टन एनपीके उपलब्ध है।
इसके अलावा कानपुर मंडल में 12290 मीट्रिक टन डीएपी और 26330 मीट्रिक टन एनपीके, प्रयागराज में 9025 मीट्रिक टन डीएपी और 21221 मीट्रिक टन एनपीके, झांसी में 11046 मीट्रिक टन डीएपी और 4782 मीट्रिक टन एनपीके, चित्रकूट धाम मंडल में 4476 मीट्रिक टन डीएपी और 3933 मीट्रिक टन एनपीके, वाराणसी में 19439 मीट्रिक टन डीएपी और 12767 मीट्रिक टन एनपीके, मिर्जापुर में 9807 मीट्रिक टन डीएपी और 5580 मीट्रिक टन एनपीके, आजमगढ़ में 17519 मीट्रिक टन डीएपी और 11663 मीट्रिक टन एनपीके, गोरखपुर में 18005 मीट्रिक टन डीएपी और 14070 मीट्रिक टन एनपीके, बस्ती में 8892 मीट्रिक टन डीएपी और 4758 मीट्रिक टन एनपीके, देवीपाटन में 11908 मीट्रिक टन डीएपी और 10106 मीट्रिक टन एनपीके, लखनऊ में 17662 मीट्रिक टन डीएपी और 31384 मीट्रिक टन एनपीके तथा अयोध्या मंडल में 12892 मीट्रिक टन डीएपी और 19075 मीट्रिक टन एनपीके उर्वरक उपलब्ध है।
बैठक में प्रमुख सचिव कृषि रविन्द्र, प्रमुख सचिव सहकारिता एमपी अग्रवाल, कृषि सचिव अनुराग यादव, कृषि निदेशक जितेंद्र तोमर, संयुक्त निदेशक आशुतोष मिश्र तथा पीसीएफ के वरिष्ठ अधिकारी विनोद कुमार ने भाग लिया।