उरई/जालौन :जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव/अपर जिला जज श्री महेन्द्र कुमार रावत  द्वारा जिला कारागार उरई में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन कराया एवं सभी बैरिकों का निरीक्षण किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकारण अध्यक्ष/माननीय जनपद न्यायाधीश श्री लल्लू सिंह के निर्देशन में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित शिविर में उपस्थित सिद्धदोष/ विचाराधीन बन्दियों को उनके अधिकार से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये सचिव श्री महेन्द्र कुमार रावत ने प्ली-वार्गेनिंग स्कीम, समयपूर्व रिहाई, विधि के समक्ष समानता, निःशुल्क विधिक सहायता और बन्दियों के अधिकारों के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि कोई विचाराधीन बन्दी अधिकतम 07 वर्ष तक की सजा के मामलों में विचाराधीन है, तो जिन्होंने सजा के तौर पर कुछ अवधि जेल में बिता ली हो, वह पीड़ित पक्ष से समझौता कर उसे उचित मुवायजा देकर अपनी सजा न्यायालय से कम करा सकते है, लेकिन इस योजना का लाभ उनको नहीं मिलेगा जिन्होंने देश के विरूद्ध, महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध अथवा आर्थिक अपराध किया हो।

कार्यक्रम के उपरान्त विचाराधीन बन्दियों की समस्याओं के निराकरण हेतु और उनको विधिक सहायता पहुँचाने के लिये जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्री महेन्द्र कुमार रावत ने जिला कारागार उरई की सभी बैरिकों का निरीक्षण किया। वहां निरूद्ध विचाराधीन बन्दियों से वार्ता की और उनकी समस्याओं के निराकरण हेतु एवं पर्याप्त साफ-सफाई हेतु जिला कारागार प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

इस कार्यक्रम में असिस्टेंट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल श्री अभिषेक पाठक ने लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल से सम्बन्धित समस्त योजनाओं एवं निःशुल्क विधिक सहायता के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

इस मौके पर कारागार अधीक्षक नीरज देव, जेल चिकित्सकडॉ0 राहुल वर्मन, कारापाल प्रदीप, उपकारापाल तारकेश्वर सिंह, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कनिष्ठ लिपिक शुभम् शुक्ला समेत सिद्धदोष/विचाराधीन बन्दी उपस्थित रहे।

 

उरई/जालौन

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव/अपर जिला जज श्री महेन्द्र कुमार रावत  द्वारा जिला कारागार उरई में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन कराया एवं सभी बैरिकों का निरीक्षण किया गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकारण अध्यक्ष/माननीय जनपद न्यायाधीश श्री लल्लू सिंह के निर्देशन में सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा आयोजित शिविर में उपस्थित सिद्धदोष/ विचाराधीन बन्दियों को उनके अधिकार से सम्बन्धित महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गयी। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये सचिव श्री महेन्द्र कुमार रावत ने प्ली-वार्गेनिंग स्कीम, समयपूर्व रिहाई, विधि के समक्ष समानता, निःशुल्क विधिक सहायता और बन्दियों के अधिकारों के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यदि कोई विचाराधीन बन्दी अधिकतम 07 वर्ष तक की सजा के मामलों में विचाराधीन है, तो जिन्होंने सजा के तौर पर कुछ अवधि जेल में बिता ली हो, वह पीड़ित पक्ष से समझौता कर उसे उचित मुवायजा देकर अपनी सजा न्यायालय से कम करा सकते है, लेकिन इस योजना का लाभ उनको नहीं मिलेगा जिन्होंने देश के विरूद्ध, महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध अथवा आर्थिक अपराध किया हो।

कार्यक्रम के उपरान्त विचाराधीन बन्दियों की समस्याओं के निराकरण हेतु और उनको विधिक सहायता पहुँचाने के लिये जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्री महेन्द्र कुमार रावत ने जिला कारागार उरई की सभी बैरिकों का निरीक्षण किया। वहां निरूद्ध विचाराधीन बन्दियों से वार्ता की और उनकी समस्याओं के निराकरण हेतु एवं पर्याप्त साफ-सफाई हेतु जिला कारागार प्रशासन को आवश्यक दिशा-निर्देश दिये।

इस कार्यक्रम में असिस्टेंट लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल श्री अभिषेक पाठक ने लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल से सम्बन्धित समस्त योजनाओं एवं निःशुल्क विधिक सहायता के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी।

इस मौके पर कारागार अधीक्षक नीरज देव, जेल चिकित्सकडॉ0 राहुल वर्मन, कारापाल प्रदीप, उपकारापाल तारकेश्वर सिंह, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कनिष्ठ लिपिक शुभम् शुक्ला समेत सिद्धदोष/विचाराधीन बन्दी उपस्थित रहे।