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उत्तर प्रदेश

भारतीय संस्कृति और ज्ञान विज्ञान की परम्परा को जानने के लिए संस्कृत भाषा का अध्ययन नितान्त आवश्यक है – गोल्डमेडलिस्ट श्री सर्वज्ञ भूषण संस्कृत गंगा

उत्तर प्रदेश में ही केवल नहीं अपितु संपूर्ण भारतवर्ष में संस्कृत की ध्वजा पताका को अविरल गति से कल कल करती संस्कृत धारा को प्रवाहित करने वाला उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान आज समूचे विश्व के लिए एक प्रतिष्ठा का केंद्र बना हुआ है।
उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान लखनऊ के द्वारा संचालित सरल भाषा संस्कृत प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत संस्कृत भाषा शिक्षण की कक्षाएं प्रतिमाह ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से चल रही हैं जिससे अखिल भारतवर्ष के ही नहीं अपितु विदेशों से विद्यार्थी, डॉक्टर, इंजीनियर, छात्र, अध्यापक, कृषक, सेवानिवृत व बहुतेरे सामाजिक जन संस्कृतभाषा को जानने का प्रयास कर रहे हैं तथा सरल पद्धति के द्वारा खेल खेल में ही संस्कृत सीख रहे हैं।
उसी उपक्रम में सितम्बरमास के अंतर्गत आयोजित संस्कृत भाषा प्रशिक्षण के सत्र में बौद्धिक सत्र का आयोजन उत्तरप्रदेशसंस्कृतसंस्थान के मेधावी, नैष्ठिक, कर्मठ व क्रियाशील वरिष्ठ प्रशिक्षकों के द्वारा किया गया, जिसमें संस्थान के अध्यक्ष डॉ वाचस्पति मिश्र जी का सानिध्य व संस्थान के निदेशक आई0ए0एस0 पवन कुमार जी के कुशल निर्देशन की गरिमा का बखान किया गया। इस सत्र में मुख्यातिथि के रूप में संस्कृतभारती संगठन के अवध के पूर्व प्रान्तमन्त्री माननीय श्री ओङ्कारनारायण दुबे जी के द्वारा सभी प्रशिक्षणार्थियों को संस्कृत भाषा की उपयोगिता और इसमें छिपे वैज्ञानिक तत्व तथा संस्कृत भाषा में दैनिक जीवन से जुड़े आयाम व व्यवहारों को संस्कृत भाषा का पूरक समझाते हुए विस्तृत व्याख्यान दिया। मुख्यवक्ता के रूप में संस्कृतगङ्गा के प्रसिद्ध विद्वान् तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से गोल्ड मैडलिस्ट आदरणीय श्रीमान् सर्वज्ञभूषण गुरु जी ने कहा कि संस्कृत वह भाषा है जिसके द्वारा हम किसी भी कार्य को करने के लिए अपने आप को सक्षम कर सकते हैं।


भारतीय संस्कृति और ज्ञान विज्ञान की परंपरा को जानने के लिए संस्कृत भाषा का अध्ययन नितान्त आवश्यक है। यह केवल वेद पुराणों की भाषा ही नहीं तथा यह केवल कर्मकांड की भाषा नहीं, इसके द्वारा हम शुद्ध उच्चारण करके अपनी जीविका को निर्वाहन करने के लिए शताधिक रोजगार संस्कृत भाषा के द्वारा प्राप्त कर सकते हैं अतः संस्कृत भाषा के प्रति अपना सर्वांगीण और सर्वतोन्मुखी विकास करने हेतु प्रत्येक जन को संस्कृत पढ़ना अत्यंत आवश्यक है। इस कार्यक्रम को ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से आयोजित किया गया।
जिसमें प्रशिक्षित व वरिष्ठ प्रशिक्षक प्रो0 आचार्यदिवाकरमिश्र, आचार्य अमितसामवेदी, आचार्य दीनदयालशुक्ल, अंशुगुप्ता, अनिल गौतम आदि शिक्षकों के द्वारा इन कक्षाओं को विभिन्न समय पर विशिष्ट पद्धतियों के माध्यम से व विविध प्रविधियों के माध्यम से तथा सरल प्रयोगों के माध्यम से सिखाया जा रहा है। इस अवसर पर संस्थानम् के अध्यक्ष डॉ0 वाचस्पतिमिश्र, निदेशक आई0एस0 ए0 पवनकुमार, सर्वेक्षिका डॉ0 चंद्रकला शाक्य, प्रशासनिक अधिकारी श्री दिनेशमिश्रा, प्रशिक्षण प्रमुख सुधीष्ठकुमारमिश्र तथा प्रशिक्षण समन्वयक श्रीमान धीरजमैठाणी जी समेत प्रशिक्षणार्थी सुमन, संगीता, कुमार, निशा, ओमदत्तद्विवेदी सहित अनेक संस्कृतानुरागी जन उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का आरंभ मङ्गलाचरण के साथ किया गया, जिसमें प्रो0 श्रीमान् नागेशदुबे जी के द्वारा अतिथियों का परिचय और वाचिक स्वागत इत्यादि किया गया।
इस प्रशिक्षण का लाभ लेने हेतु आप भी संस्कृत की इस सम्वादात्मिका कक्षा में निशुल्क पंजीकरण के लिए इस लिंक https://sanskritsambhashan.com/ पर अपना पंजीकरण कर सकते हैं।

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