बुन्देलखण्ड जन मिलन केन्द्र का स्थापना दिवस माना हर्षोल्लास से

उरई:किसी व्यक्ति की उम्र कितनी है या उसकी शिक्षा कितनी है इसका उसके व्यक्तित्व पर उतना प्रभाव नहीं होता है जितना कि उसके कार्यों का. यदि कोई व्यक्ति सकारात्मक सोच के साथ सार्थक कार्य करता है तो वह सदैव समाज के लिए अनुकरणीय होता है. समाज में ऐसे व्यक्तियों का योगदान भी जनहित का होता है तथा समाज के लोग भी उस व्यक्ति को सदैव याद रखते हैं. ऐसे में प्रयास यही हों कि सभी लोग अपने भीतर की ऊर्जा को बनाये रखते हुए समाजहित में कार्यशील रहें.

उक्त विचार विडो क्लब की संयोजिका कौशल्या राज ने बुन्देलखण्ड जनमिलन केंद्र के स्थापना दिवस के अवसर पर व्यक्त किये. झाँसी रोड स्थित श्याम मनोहर जूनियर हाई स्कूल में आयोजित स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए उन्होंने कहा कि जन मिलन केंद्र से ऐसे लोगों को सक्रिय होने का अवसर मिला है जो अपनी आयु के चलते खुद को घर में कैद कर चुके थे. यहाँ आकर उनसे जुडी महिलाओं ने अपने विचारों में और सकारात्मकता प्राप्त की है.


विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए सेवानिवृत्त शिक्षक रतन सिंह निरंजन ने कहा कि केंद्र में सामूहिकता की भावना देखने को मिली है. यहाँ हर आयुवर्ग के लोगों का आना होता है. ऐसे में जहाँ युवा यहाँ आकर वरिष्ठजनों के अनुभवों से सीख लेता है वहीं वरिष्ठ लोग भी युवाओं से नई-नई जानकारियाँ ग्रहण करते हैं. यहाँ आकर एहसास होता है कि कैसे व्यक्ति एक-दूसरे से सीखते हुए अपने में और सुधार कर सकता है. चूँकि सीखने की कोई उम्र नहीं होती है ऐसे में केंद्र में उन लोगों को अवश्य जुड़ना चाहिए को समाज को कुछ नया देना चाहते हैं अथवा समाज से कुछ नया पाना चाहते हैं.

इस केंद्र की सबसे बड़ी बात यह है कि यहाँ किसी भी तरह की सदस्यता नहीं है, सभी एक-दूसरे के प्रेम-स्नेह से यहाँ बंधे चले आते हैं.
बुन्देलखण्ड जनमिलन केंद्र के निदेशक डॉ० आदित्य कुमार ने वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि नियमित रूप से केंद्र की गतिविधियों में सहभागिता करने वालों की संख्या लगातार बढ़ती ही रही है. पहले इस केंद्र को सिर्फ बुजुर्गों के लिए ही संचालित करने का विचार आया था मगर बाद में युवाओं की सक्रियता और सहभागिता को देखते हुए सभी को इसमें आमंत्रित किया गया. केंद्र ने न केवल वैचारिक मंच लोगों को प्रदान किया वरन लोगों की प्रतिभाओं को निखारने का काम किया, समाजहित के कार्य भी किये. कुछ लोगों ने अपनी झिझक को त्यागकर सार्वजनिक मंच पर प्रस्तुतियां देने का कार्य किया तो कुछ लोगों ने केंद्र के माध्यम से उरई में पौधारोपण कार्यक्रमों में सहभागिता की.
स्थापना दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्याम मनोहर जूनियर हाई स्कूल के प्रबंधक डॉ० अभय करन सक्सेना ने कहा कि सामूहिकता से व्यक्तियों का विकास होता है. उनके अन्दर की भावना का विकास होता है.

 

जनमिलन केंद्र ने उरई के लोगों के लिए एक ऐसा मंच स्थापित किया है जो बिना किसी बंधन के सभी को यहाँ आमंत्रित करते हुए उनको सक्रियता प्रदान करता है. यहाँ आकर बच्चों ने भी अपनी प्रस्तुतियां दी हैं तो युवाओं ने भी वैचारिकता को अपनाया है. निश्चित ही आने वाले समय में केंद्र नए-नए मानक स्थापित करेगा.
स्थापना दिवस के अवसर पर केंद्र के सदस्यों सहित अन्य आमंत्रित अतिथियों ने उल्लास के साथ सहभागिता की. विडो क्लब से जुडी महिलाओं में कौशल्या जी, निशा राज, रामश्री बहिन जी ने भजन के माध्यम से लोगों को लोभ-मोह से दूर रहने की शिक्षा दी. मिथलेश बहिन जी ने बोधकथा के द्वारा समाज में फ़ैल रही कुरीतियों को दूर करने के प्रति जागरूकता फैलाई. उनका कहना था कि यदि हम सभी लोग अपने आपसे ईमानदार रहते हुए एक-दूसरे के प्रति समन्वय की भावना रखें तो समाज में किसी भी तरह की समस्या नहीं रह जाएगी.
कार्यक्रम का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्ज्वलन और सरस्वती प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुआ. दो बछियों शालिनी और गुनगुन ने इतनी शक्ति हमें दो दाता के द्वारा सरस्वती पूजन करते हुए एक स्वागत गीत भी प्रस्तुत किया. केंद्र में सक्रिय भूमिका निभाने वाले घनश्याम शर्मा ने ईसुरी की चौकड़ियों के द्वारा बुन्देली माहौल तैयार किया तो आर०पी० श्रीवास्तव ने हास्य रचनाओं के माध्यम से उपस्थित लोगों को गुदगुदाया. कार्यक्रम में उपस्थित डीवीसी के पूर्व प्राचार्य डॉ० ए०के० श्रीवास्तव ने कहा कि हम सभी किसी न किसी रूप में इगो से ग्रसित होते हैं. ऐसे केंद्र हम सबके इगो को दूर करने का काम करता है. यहाँ की सामूहिकता से सीखकर अपने इगो को दूर करके इन्सान बना जा सकता है. डीवीसी के पूर्व प्राचार्य डॉ० अनिल कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि उरई में बहुत से केंद्र बहुत सी संस्थाएं चलती हैं मगर जिस तरह से नियमितता यहाँ देखने को मिली, ऐसा कम देखने को मिलता है. यहाँ आकर निश्चित ही बहुत कुछ सीखा जा सकता है.

 


राजनीति विज्ञान की शोध छात्रा गौरी उदैनिया ने एक गीत के माध्यम से बताया कि किस तरह इन्सान की आकांक्षाएं बढ़ती जाती हैं. कैसे वह अपनी चाह के वशीभूत कार्य करता है. युवा क्रांतिकारी विचारक गणेश शंकर त्रिपाठी ने कहा कि इस केंद्र में आकर युवा, वृद्ध का भेद स्वतः समाप्त हो जाता है. अपने से वरिष्ठ लोगों को सक्रिय देखकर खुद में ऊर्जा का संचार होने लगता है. यही इस केंद्र की विशेषता है कि यहाँ सकारात्मक ऊर्जा हमेशा लोगों को सक्रिय बनाये रखती है. स्थापना दिवस कार्यक्रम में रामजी सक्सेना, ओ०पी० गुप्ता, आदित्य मिश्र, विनोद खरे द्वारा काव्यपाठ किया गया. डॉ० आर०के० श्रीवास्तव, डॉ० के०सी०गुप्ता, प्रकाश चन्द्र त्रिपाठी, कैलाश खरे, अरविन्द मिश्र, विजय अग्रवाल आदि ने भी अपने विचार प्रकट किये. इनके साथ-साथ इंदु सक्सेना, मधु सक्सेना, बृजेन्द्र पाठक, डॉ० वर्षा, राहुल, राधे श्याम शर्मा, चंद्रशेखर अवस्थी आदि सहित सैकड़ों गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे. स्थापना दिवस कार्यक्रम का सञ्चालन डॉ० कुमारेन्द्र सिंह सेंगर ने किया तथा आभार प्रदर्शन सुभाष चंद्रा ने किया.

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