कुल की रस्म के साथ हजरत भोले सलार के 153 वां उर्स का हुआ समापन

कालपी(जालौन)। हिन्दू-मुस्लिम एकता की मिसाल को संजोये हजरत अलाउद्दीन कुरेशी उर्फ भोले सलार रहमतुल्लाह अलैह का 153 वां सालाना उर्स कुल की रस्म के साथ समापन किया गया।
गुरुवार की सुबह मौलाना अशफाक अहमद बरकाती, इंतजामिया कमेटी के सदस्यों तथा समाजसेवियों दीवान अतीक सिद्दीकी, परवेज कुरैशी आदि की मौजूदगी में कुल की रस्म तथा धार्मिक रीति रिवाज से उर्स का धूमधाम से समापन किया गया। दूसरी रात में हिंदुस्तान के मशहूर कब्बालों अनीस नवाब अहमदाबाद तथा अजीम नाजा मुम्बई ने ख्वाजा गरीब नवाज अजमेरी,भोले सलार आदि बलियों की शान में कसीदे पढ़ते हुए कब्बाली पेश की। कब्बालों ने अपनी रचनाओं को प्रस्तुत करके रातभर लोगों की वाहवाही बटोरी। जायरीनों तथा अकीदतमंदों ने हज़रत भोले सलार चिश्ती की दरगाह में फूल चादर अमन, तरक्की तथा खुशहाली के लिए दुआएं मांगी। दरगाह इंतजामिया कमेटी के अध्यक्ष तथा सदस्यों ने कार्यक्रम के दौरान समाजसेवियों दीवान अतीक सिद्दीकी सीनू, परवेज कुरैशी एडवोकेट, धर्मगुरुओ तथा कब्बालों का फूल माला पहनाकर सम्मान किया गया।
दीवान अतीक सिद्दीकी सीनू ने कहा कि पीर, फकीरों, संतो तथा वलियों ने हम सभी लोगों को सच्चाई,नेकी, ईमानदारी का पैगाम दिया है। इसलिए सभी लोग इंसानियत के रास्ते पर चले। इससे देश तथा तथा समाज में खुशहाली कायम रहेगी।

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