💥57 ठाकुरों ने दिया था अपना बलिदान

मथुरा:1857 की क्रांति की झलक आज भी मथुरा में देखने को मिल जाएगी।यहीं से शुरू हुआ था सन् 57 का विद्रोह और यहां के 57 ठाकुरों ने दिया था बलिदान।मथुरा से उठी क्रांति की चिंगारी ने पूरे देश में अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह छेड़ दिया और देश से अंग्रजों को भागना पड़ा।

आज भी आती है शौर्यगाथा की खुशबू

गोवर्धन तहसील के अडींग की मिट्टी में आज भी ब्रजभूमि के रणबांकुरों की शौर्यगाथा की खुशबू आती है।अंग्रेजी हुकूमत ने ब्रज क्षेत्र में 1857 की क्रांति को कुचलने के लिए 57 ठाकुर ग्रामीणों को फांसी पर चढ़ा दिया था।महीनों तक ग्रामीणों पर बर्बर जुल्म ढाए गए खंडहर के रूप में मौजूद भरतपुर में नरेश सूरजमल की हवेली हंसते-हंसते मौत को गले लगाने वाले आजादी के दीवानों की आज भी गवाह बनी हुई है।मथुरा गोवर्धन मार्ग पर बसा गांव अडींग आजादी के शिल्पकारों की भूमि रहा है यहां के लोगों का स्वाधीनता आंदोलन में योगदान इतिहास के पन्नों पर अंकित है।अडींग में आजादी के आंदोलनों की बढ़ती संख्या के कारण ब्रिटिश हुकूमत ने यहां पुलिस चौकी की स्थापना कर दी थी।1857 के गदर के समय एक सिपाही अख्तियार ने बैरकपुर छावनी में कंपनी कमांडर को गोली से उड़ा दिया।इतिहास खंगालें तो बैरकपुर छावनी से मेरठ होते हुए देश में जगह जगह अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ विद्रोह की पुकार सुनाई देने लगी। मथुरा में भी क्रांति की चिंगारी सुलग उठी।

ब्रिटिश राजकोष को भी लूटा

30 मई 1857 को घटी इस घटना के बाद इस वीर ने अपने साथियों के साथ आगरा जा रहे राजकोष के 4:30 लाख रूपए को लूट लिया।तांबे के सिक्के और आभूषण छोड़ दिए गए। लूटने के लिए सिपाही और शहरवासी दिन भर जूझते रहे। इन फैक्ट्री विद्रोही सिपाहियों ने जेल तोड़कर क्रांतिकारियों को निकाला और दिल्ली की ओर कूच कर गए।इतिहास बताता है कि 31 मई को इन लोगों ने कोसी पुलिस स्टेशन पर पुलिस बंगले में जमकर लूटपाट की।उन्होंने अंग्रेजों की मुखबिरी के संदेह में हाथरस के राजा गोविंद सिंह को भी वृंदावन स्थित केसी घाट पर मौत की नींद सुला दिया।

57 ठाकुरों को दी गयी थी फांसी

विद्रोह की गूंज के कारण तत्कालीन अंग्रेज कलेक्टर जर्नल आगरा ने विद्रोह को दबाने के लिए विशेष सैनिक टुकड़ी बुलाई। इन लोगों ने सराय में 22 जमीदारों को गोलियों से भून दिया।अडींग के क्रांतिकारियों ने भी खजाना लूटने का प्रयास किया, यहां के 57 ठाकुर जाति के लोगों को बाद में अंग्रेजों ने ऐतिहासिक किले पर फांसी दे दी।
वही अब यहां स्थानीय लोगों ने शहीद स्मारक बनवाने की सरकार से मांग की है।

*जनपद मथुरा से soni news के लिए रामकुमार शर्मा की खास रिपोर्ट*