उरई(जालौन)” मैनुअल स्कैवेन्जरों का राष्ट्रीय सर्वेक्षण ” समीक्षा – सफाई कर्मचारी आन्दोलन एवं गरिमा अभियान के द्वारा लगातार हाथ से मैला साफ करने एवं इस अमानवीय कृत्य से विमुक्त स्वच्छकारों के जीविकोपार्जन/ पुनर्वासन हेतु सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की टास्क कमेटी के निर्णयानुसार NSKFDC के माध्यम से तैयार ” गाईड लाईन ” के आधार पर 18 राज्यों सहित उत्तर प्रदेश के 47 जिलों मे भारत सरकार द्वारा “मैनुअल स्कैवेन्जरों का राष्ट्रीय सर्वेक्षण” कराकर उनके जीविकोपार्जन/ पुनर्वासन हेतु 25 मार्च 2018 से इसकी शुरुआत करने की रणनीत बनाई गई थी, इस कार्य को सुचारू रूप से अंजाम देने हेतु भारत सरकार द्वारा प्रत्येक जिलों में चयनित जिला समन्वयकों को जिला प्रशासन के सहयोग से उक्त सर्वेक्षण,को शिविरों के माध्यम से ‘ गाईड लाईन ‘ के अनुसार स्वच्छकारों का पंजीकरण कर जिला समन्वयक के माध्यम से उनके द्वारा प्रदत्त अभिलेखों का सत्यापन कर सही व पात्र स्वच्छकारों को चयनित कर प्रत्येक फॉर्मेट पर उसके वीहाफ में उक्त ब्लॉक के एडीओ पंचायत ( ग्रामीण क्षेत्रों मे) एवं नगर आयुक्त/अधिशासी अधिकारी द्वारा नामित कर्मचारी ( नगरीय क्षेत्रों में) के हस्ताक्षर एवं मुहर सहित समस्त शिविरों के मिनट्स फॉर्म भरकर सम्बन्धित जिलाधिकारी या उसके द्वारा नामित नोडल अधिकारी के द्वारा सारे सही पाये गये पंजीकृत फॉर्मेटों को ,भारत सरकार द्वारा नामित जिला समन्वयक के माध्यम से NSKFDC नई दिल्ली को अग्रिम फाईनल कार्यवाही हेतू अप्रैल लास्ट 2018 तक भेजना था,लेकिन अधिकतर जिलों के सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा गाईड लाईन एवं समय-समय पर जारी तमाम शासनादेशों की धज्जियां उडा़ते हुये अपनी कुंठित मानसिकता,अपने कार्य के प्रति उदासीनता एवं हठधर्मिता के कारण बिल्कुल भी परिपालन ना करते हुये अपनी पूर्व निष्क्रियता पूर्ण कार्य प्रणाली को अंजाम देते हुये अपने स्तर पर पूर्व की भांति सत्यापन प्रक्रिया के नाम पर अभी तक उन फॉर्मेटों को अपने पास रखा हुआ है जबकि इसमें सत्यापन की परिकल्पना ही नहीं की गई थी,काफी जिलों में पंजीकृत फॉर्मेटों को अपनी अलमारियों में कैद करके अपनी मनमर्जी से एक लेटर के माध्यम से जिले की ‘ निल ‘ रिपोर्ट भेजकर अपने कर्तव्यों से इतिश्री कर शासन-प्रशासन सहित सुप्रीम कोर्ट को भी पूर्व की भांति पुन: गुमराह करने का कार्य किया,जिसकी वजह से इस अमानवीय कुप्रथा से जुड़े या विमुक्त स्वच्छकारों का जीविकोपार्जन / पुनर्वासन का सपना फिर सपना बनकर अधर में लटक कर रह गया,इसके अलावा जो फॉर्मेट गाईड लाईन के मुताबिक समस्त प्रक्रिया को पूर्ण कर NSKFDC नई दिल्ली भेजे गये उनमे भी कॉफी पात्र स्वच्छकारो की धनराशि क्लर्किकल मिस्टेक खाता संख्या गलत टाईप होने,खाता बंद होने के कारण नहीं पहुँच पाई और काफी स्वच्छकारो की धनराशि Same contect and same adress एवं Similar as 2013 एवं कॉलम पूरे ना भरने के नाम पर रोक रखी जो कि कोई बडी़ मिस्टेक नहीं थी लेकिन जिला-प्रशासन की ओर से सारे पात्रता की श्रेणी में आते हैं ,चूकि यह मुद्दा स्वच्छकारों का है इसलिए इस पर कोई भी उच्च अधिकारी या सम्बन्धित विभाग इन निष्क्रिय एवं अपने कार्य के प्रति उदासीन सम्बन्धित अधिकारियों के खिलाफ किसी भी प्रकार का एक्शन नहीं ले रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट से लेकर , भारत सरकार,उ०प्र० सरकार की पूरी मंशा है कि देश मे कलंक के रूप में विद्धमान मैला ढोने की अमानवीय कुप्रथा की जड़ से समाप्ति करते हुये विमुक्त स्वच्छकारों का पनर्वासन किया जाये फिर तथाकथित अधिकारियों को इसमें दिक्कत क्या है ? MS Act 2013 के अन्तर्गत गठित राज्य स्तरीय निगरानी समिति का सदस्य होने के नाते इस अत्यंत गम्भीर एवं सम्वेदनशील मुद्दे के प्रति उदासीन एवं लापरवाह सम्बन्धित अधिकारियों की निष्क्रियता के बारे मे यशस्वी मुख्यमंत्री मा० योगी आदित्य नाथ महोदय के संज्ञान में देकर इन बेलगाम अधिकारियों के खिलाफ sc/st act की धारा 4 के अन्तर्गत अनुशासनात्मक कार्यवाही करवाने सहित वंचित-उपेक्षित सम्बन्धित मूक स्वच्छकारों को न्याय दिलाने का काम किया जायेगा| भग्गूलाल वाल्मीकि,एम एस एक्ट 2013 के तहत ,सदस्य, राज्य स्तरीय निगरानी समिति,उ०प्र० शासन।

रिपोर्ट-अमित कुमार क्राइम रिपोर्टर उरई जनपद जालौन