जालौन-ईद का त्योहार प्यार-मोहब्बत और भाई-चारे का संदेश देता है। हाफिज मुहम्मद यूसुफ क़ादरी ने बताया कि इसी महीने में ही कुरान-ए-पाक का अवतरण हुआ था चांद के दीदार के अगले दि
न ईद मनाने का रिवाज है ईद को ईद-उल-फितर भी कहा जाता है ईद-उल-फितर सबसे पहले 624 ई. में मनाया गया था ओर इस बार दादूपुरा मस्जिद में ईद की नमाज़ हाफ़िज़ मुहम्मद यूसुफ क़ादरी ने ने ये ऐलान किया कि दादूपुरा मस्जिद में ईद उल फितर की नमाज़ 8:45 मिनिट पर होगी
हाफिज मुहम्मद अहमद ने बताया की ईद इस्लामिक कैलेंडर को हिजरी कैलेंडर के नाम से जाना जाता है इसमें साल का 9वां महीना रमजान होता है जिसे पवित्र माना जाता है जो पूरे 30 दिन का होता है इस माह में लोग रोजा रखते हैं इस पाक महीने के अंतिम दिन का रोजा चांद को देखकर ही खत्म किया जाता है। चांद दिखने के अगले दिन ईद का त्योहार मनाया जाता है.
हाफिज मुहम्मद शोएब अंसारी ने बताया कि पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने बद्र के युद्ध में फतह हासिल की थी इस युद्ध में फतह मिलने की खुशी में लोगों ने ईद का त्योहार मनाना शुरू किया साल में दो बार आती है ईद
हिजरी कैलेण्डर के अनुसार साल में दो बार ईद का त्योहार मनाया जाता है इस बार 5 या 6 जून को जो ईद मनायी जाएगी उसे ईद-उल-फितर या मीठी ईद कहा जाता है इस दिन सेवैया बनाने का रिवाज है दूसरी ईद को ईद-उल-जुहा या बकरीद कहा जाता है।
ईद पर दान देने का रिवाज
इस्लाम में ऐसा माना जाता है कि ईद के दिन जरूरतमंद लोगों को अपनी हैसियत के मुताबिक दान करना चाहिए। इससे गरीब और जरूरतमंद लोग भी खुशियों के साथ ईद का त्योहार मना पाएं। यह रिवाज इस त्योहार में चार चांद लगाता है।
रिपोर्ट-अमित कुमार क्राइम रिपोर्टर