मिलावटी खोवा की ब्रिकी रोकने के लिए फैक्ट्रियों पर हाथ क्यों नही डाल रहे अधिकारी ?

जालौन। होली का त्योहार नजदीक है। त्योहार को देखते हुए मिलावटखोरी भी तेजी पर है। दूर दराज गांवों में खोया बनाने की कई फैक्टरियां संचालित हैं। खाद्य विभाग दुकानों पर कार्रवाई कर अपने कर्तव्यों की तो इतिश्री कर लेता है। लेकिन इन फैक्टरियों की कोई जांच नहीं की जाती है। इसके अलावा मिलावटी खाद्य पदार्थ भी बेचे जा रहे हैं।
होली के त्योहार को देखते हुए नगर क्षेत्र में मिठाई बनाने के लिए खोये की बिक्री का ग्राफ एकदम बढ़ गया है। इसी के चलते मिलावटी खोये की खेप भी जमकर बाजार में आ रही है। त्योहारों में आमतौर पर मिठाई न खाने वाले लोग भी घर पर खोया से बनी हुई मिठाइयां बनवाते हैं। मांग की तुलना में आपूर्ति कम होने का लाभ मिलावखोर उठाते हैं। मिलावटी खोये को बनाने का काम जनपद के दूर दराज के गांवों में किया जा रहा है। इसके अलावा त्योहारों का फायदा मुनाफाखोर भी उठाते हैं। मिलावटी सामान की बिक्री से लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ होता है।

राहुल, पवन आदि बताते हैं कि क्षेत्र के कई गांव ऐसे हैं जहां बड़े पैमाने पर खोया बनाने का काम चल रहा है। खाद्य विभाग की उदासीनता के चलते उनका यह धंधा दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की कर रहा है। जनपद के उक्त क्षेत्रों में चल रही खोया फैक्टरियों से न केवल जनपद में खोया की सप्लाई होती है बल्कि यहां से मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार सहित उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहरों में खोया की आपूर्ति की जाती है। खाद्य विभाग के अधिकारी हलवाईयों की दुकानों पर सैंपल भरकर अपने कर्तव्यों की इतिश्री तो कर लेते हैं। लेकिन यह मिलावटी खोया आ कहां से रहा है इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। यही नहीं उपभोक्ताओं को शुद्ध खोया से बनी हुई मिठाइयां मिले, उनमें मिलावट न हो इसके लिए प्रशासनिक पहल नहीं के बराबर होती है। खाद्य विभाग के अधिकारियों को चाहिए कि विभिन्न गांवों में संचालित खोया फैक्टरियों का पता लगाकार उनके खोया की जांच कराई जाए। यदि मिलावटी खोया पकड़ा जाता है तो ऐसे संचालकों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाए।

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