उरई(जालौन)। बहुत गाजे-बाजे के साथ वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कल बजट पेश किया। जिसमें एक बार फिर उन्होंने आने वाले सुनहरे कल का सपना दिखाते हुए अमृत काल का डंका पीटा। महंगाई सारे रिकॉर्ड तोड़ चुकी और पिछले कुछ सालों में बेरोजगारी भी बढ़ती जा रही है। लेकिन बजट में इन चुनौतियों से निपटने की कोई राह नहीं नही दिखाई है। 1 फरवरी को देश का बजटपेश कर दिया गया। गणेशधाम उत्सव ग्रह उरई-जालौन में चर्चा मीडिया संबाद किया गया।


बुंदेलखंड दलित अधिकार मंच संयोजक कुलदीप कुमार बौद्ध ने कहा कि वित्त वर्ष 2023-24 का कुल बजट 49,90,842.73 करोड़ रूपए है और अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए कुल आवंटन 1,59,126.22 करोड़ रूपए और अनुसूचित जनजाति के लिए कुल आवंटन 1,19,509.87 करोड़ रूपए है। इनमें से दलितों को पहुंचने वाली लक्षित राशि 30,475 करोड़ रूपए है और आदिवासियों को पहुंचने वाली लक्षित राशि 24,384 करोड़ रूपए है। दलित संगठन लंबे समय से पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना के लिए 10,000 करोड़ रूपए के आवंटन की मांग कर रहे हैं।

हालांकि इस वर्ष का कुल आवंटन इस मांग से कम है, लेकिन योजना के आवंटन में की गई बढ़ोत्तरी स्वागत-योग्य है। दलित आर्थिक अधिकार आन्दोलन की समन्वयक रिहाना मंसूरी ने कहा की सरकार ने जो बजट पेश किया है उसमे जेंडर बजट को देखे तो बहुत ही कम दिया गया है। सरकार महिलाओं के लिए बड़े बड़े बादे करती लेकिन बजट में दलित महिलाओं के लिए कुछ भी नहीं है आज हमारी दलित वाल्मीकि महिलाये मैला ढो कर अपने बच्चो का पेट भर परिवार का गुजर बसर करती है वही मैला ढ़ोने बाली महिलाओं के पुनर्वास के लिए बजट ही खत्म किया है। बजट पर बात रखते हुए नंदकुमार बौद्ध ने मजदूरों के लिए चलायी जा रही योजनाओं व उनके बजट पर बात रखी वही जितेन्द्र कुमार गौतम ने जलवायु परिवर्तन व आपदा न्यूनीकरण के बजट के बारे में बात की।