ये है शिवजी के प्रिय डमरू और उसके नाद का बड़ा रहस्य

सृष्ट‌ि के आरंभ में जब देवी सरस्वती प्रकट हुई तब देवी ने अपनी वीणा के स्वर से सष्ट‌ि में ध्वन‌ि को जन्म द‌िया। लेक‌िन इस ध्वन‌ि में न तो सुर था और न ही संगीत। सृष्टि के आरंभ से आनंदित शिव जी ने जैसे ही नृत्य आरंभ किया और 14 बार डमरू बजाया तभी उनके डमरू की ध्वन‌ि से व्याकरण और संगीत के धन्द, ताल का जन्म हुआ। इसी वजह से शिव के हाथ में सदैव डमरू रहता है।

कहा ये भी जाता है कि सृष्ट‌ि में संतुलन के ल‌िए इसे भगवान श‌िव अपने साथ लेकर प्रकट हुए थे।

शिव जी के डमरू में न केवल सातों सुर हैं बल्कि उसके अन्दर वर्णमाला भी है.

शंकु आकार के बने इस ढोल के बीच के तंग हिस्से में एक रस्सी बंधी होती है जिसके पहले और दूसरे सिरे में पत्थर या कांसे का एक-एक टुकड़ा लगाया जाता है! जब डमरू को मध्य से पकड़ कर हिलाया जाता है तो यह डला (टुकड़ा) पहले एक मुख की खाल पर प्रहार करता है और फिर उलट कर दूसरे मुख पर, जिससे ‘डुग-डुग’ की आवाज उत्पन्न होती है, इसीलिए इसे डुगडुगी भी कहते हैं!

डमरू_की_14_ध्वनि
जब डमरू बजता है तो उसमें से 14 प्रकार की ध्वनि निकलती हैं! पुराणों में इसे मंत्र माना गया !

यह ध्वनि इस प्रकार है:- ‘अइउण्‌, त्रृलृक, एओड्, ऐऔच, हयवरट्, लण्‌, ञमड.णनम्‌, भ्रझभञ, घढधश्‌, जबगडदश्‌, खफछठथ, चटतव, कपय्‌, शषसर, हल्‌ ! उक्त आवाजों में सृजन और विध्वंस दोनों के ही स्वर छिपे हुए हैं! यही स्वर व्याकरण की रचना के सूत्र धार भी है! सद्ग्रन्थों की रचना भी इन्ही सूत्रों के आधार पर हुई !

डमरू_बजने_का_लाभ
पुराणानुसार भगवान शिव नटराज के डमरू से कुछ अचूक और चमत्कारी मंत्र निकले थे! कहते हैं कि यह मंत्र कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं! कोई भी कठिन कार्य हो शीघ्र सिद्धि प्राप्त होती है!

उक्त मंत्र या सूत्रों के सिद्ध होने के बाद जपने से सर्प, बिच्छू के काटे का जहर उतर जाता है! ऊपरी बाधा हट जाती है! माना जाता है कि इससे ज्वर, सन्निपात आदि को भी उतारा जा सकता है!
रहस्य
डमरू की ध्वनि जैसी ही ध्वनि हमारे अन्दर भी बजती रहती है, जिसे अ, उ और म या ओम् कहते हैं! हृदय की धड़कन व ब्रह्माण्ड की आवाज में भी डमरू के स्वर मिश्रित हैं!

डमरू की आवाज लय में सुनते रहने से मस्तिष्क को शांति मिलती है और हर तरह का तनाव हट जाता है! इसकी आवाज से आस-पास की नकारात्मक ऊर्जा व शक्तियों का पलायन हो जाता है!

डमरू भगवान शिव का वाद्ययंत्र ही नहीं यह बहुत कुछ है! इसे बजाकर भूकम्प लाया जा सकता है व बादलों में भरा पानी भी बरसाया जा सकता है! डमरू की आवाज यदि लगातर एक जैसी बजती रहे तो इससे चारों ओर का वातावरण बदल जाता है!

यह बहुत भयानक भी हो सकता है और और सुखदायी भी! डमरू के भयानक आवाज से लोगों के हृदय भी फट सकते हैं!

कहते हैं कि भगवान शंकर इसे बजाकर प्रलय भी ला सकते हैं! यह बहुत ही प्रलयंकारी आवाज सिद्ध हो सकती है! डमरू की आवाज में अनेक गुप्त रहस्य छिपे हुए हैं! महादेव की पूजार्चना में डमरु की ध्वनि का विशेष महत्त्व हैं!

सनातन धर्म संस्कृति मानता है कि ध्वनि और शुद्ध प्रकाश से ही ब्रह्मांड की रचना हुई है! आत्मा इस जगत का कारण है !

सनातन धर्म में कुछ ध्वनियों को पवित्र और रहस्यमयी माना गया है, जैसे- मन्दिर की घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, करतल, पुंगी या बीन, ढोल, नगाड़ा, मृदंग, चिमटा, तुनतुना, घाटम, दोतार, तबला और डमरू!