चै. शंकर सिंह की राजनैतिक बिरासत को फिर से पल्लवित कर पायेगे अखिलेश यादव ?
उरई(जालौन)। उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के बुनियादी संस्थापकों में शुमार चैधरी शंकर सिंह के योगदान को कालपी विधानसभा क्षेत्र की जनता शायद ही भूल पाये। उन्हे आज भी कालपी विधानसभा क्षेत्र में सिंचाई समस्या के समाधान का द्योतक माना जाता है। जिन्होने बीहड़ क्षेत्र में हरियाली लाने के लिए कालपी विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक नलकूप लगवाये थे। यहीं वजह है कि नेताजी मुलायम सिंह यादव के साथ ही उनके बेटे अखिलेश यादव को भी चैधरी साहब के परिवार के साथ गहरे संबंधों का एहसास है। एक बार फिर से चैधरी शंकर सिंह के ज्येष्ठ पुत्र चैधरी विष्णुपाल सिंह नन्नूराजा समाजवादी पार्टी के टिकट की दावेदारी कर रहे है। वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में नेताजी मुलायम सिंह यादव ने चैधरी साहब की राजनैतिक बिरासत को पल्लवित करने के लिए नन्नूराजा को कालपी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दिया था। लेकिन उसमें उन्हे कुछ हजार वोटों से पराजय का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 12 फरवरी 2015 को बाबई पहुंचे तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने चैधरी साहब से अपने पारिवारिक रिस्तों को और मिठास दी थी यह अलग बात है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कालपी से गठबंधन के तहत कांग्रेस के खाते में जाने से उन्हे चुनाव लड़़ने का मौका नही मिल पाया था लेकिन इस बार नन्नूराजा समाजवादी पार्टी से टिकट हासिल करने के लिए ऐड़ी-चोटी का जोर लगाये हुए है और उन्हे उम्मीद है कि नेताजी मुलायम सिंह की तरह समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी अपना स्नेह बरकरार रखते हुए एक बार फिर उन्हे कालपी क्षेत्र से चुनाव लड़वायेगे।
चैधरी शंकर सिंह ने भी लगाई थी जीत की हैट्रिक
उरई। कालपी विधानसभा क्षेत्र से चैधरी शंकर सिंह पांच बार विधायक बने और 1989 के विधानसभा चुनाव में वह पांचवी बार क्षेत्र से विधायक निर्वाचित हुए थे। जिसमें तत्कालीन मुलायम सरकार ने उन्हे कृषि मंत्री का ओहदा दिया गया था। कृषि मंत्री बनने के साथ ही चैधरीशंकर ने कालपी विधानसभा क्षेत्र की सिंचाई समस्या का समाधान करने के प्रयास किए और आज भी क्षेत्र में सबसे अधिक राजकीय नलकूप लगवाने का श्रेय दिया जाता। जहां तक राजनीति की बात है तो वह उत्तर प्रदेश के चैथी विधानसभा के लिए 1967 में हुए चुनाव में विधायक चुने गये थे। तब उन्होने अखिल भारतीय जनसंघ से चुनाव जीता था। जबकि 1989 में जनता दल से चुनाव जीतकर लखनऊ पहुंचे थे। वह 1967 के बाद 1972,1977 और 1980 में लगातार विधायक निर्वाचित हुए। इस तरह क्षेत्र में जीत की हैट्रिक सबसे पहले चैधरी शंकर सिंह ने ही बनाई थी। 1991 का उन्होने चुनाव जरूर लड़ा लेकिन बसपा-भाजपा की लड़ाई के चलते वह तीसरे नंबर पर पहुंच गये थे। जबकि कृषिमंत्री रहते उन्होने क्षेत्र के विकास में नये आयाम जोड़े थे लेकिन जनता को विकास नही कमंडल की राजनीति पसंद आई।
अब हर बार विधायक बदल रही कालपी क्षेत्र की जनता
उरई। कालपी विधानसभा क्षेत्र में बहुजन समाज पार्टी से लगातार तीनबार चुनाव जीतकर हैट्रिक बनाने वाले श्रीरामपाल के बसपा से बाहर होने के बाद से कालपी क्षेत्र की जनता हरबार विधायक बदल देती है। यहां तक कि लगातार तीन बार जीतने वाले पूर्वमंत्री श्रीरामपाल जब 2002 में सपा से चुनाव लड़े तो उन्हे भी पराजय का सामना करना पड़ा और कालपी क्षेत्र की जनता ने नये चेहरे डा. अरूण मेहरोत्रा पर भरोसा जताया। लेकिन अगली बार फिर से भाजपा से चुनाव लड़े डा. अरूण मेहरोत्रा की दाल नही लग पायी और क्षेत्र की जनता ने बसपा से आये चैरासी के छोटे सिंह चैहान को विधायक बनाया। तो 2012 में पूर्व ब्लाक प्रमुख सुरेद्र सिंह सरसेला की पत्नी श्रीमती उमाकांती सिंह को क्षेत्र की जनता से पसंद किया और विधायक चुनकर विधानसभा में भेजा। 2017 के विधानसभा चुनाव में फिर से क्षेत्र की जनता ने नया फैसला सुनाया और भाजपा से नरेन्द्र सिंह जादौन विधायक बने। इस तरह देखा जाये तो पिछले चार चुनाव से लगातार कालपी क्षेत्र की जनता विधायक बदलती आ रही है। अब 2022 के चुनाव में वह किसे विधायक बनाती है यह तो आने वाला समय बतायेगा।
 अखिलेशजी को बेटे सा स्नेह देती नन्नूराजा की मां