आखिर रजवाहो,तालाबों में बच्चे क्यों करते हैं ये काम जानिए इस रिपोर्ट में

पूरे देश में नागपंचमी का त्योहार मनाया जा रहा है। इसी के चलते कानपुर देहात में भी आज नाग पंचमी का त्यौहार बड़े हर्षोल्लास और प्राचीन रीत रिवाजों के साथ मनाया गया। ये त्योहार हर साल सावन माह में पंचमी तिथि को मनाया जाता है।हिन्दू धर्म में पौराणिक काल से ही सांपों को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है. नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का खास महत्व माना जाता है. हालांकि, नागपंचमी के दिन उत्तर प्रदेश के दिन एक अनूठी परंपरा भी निभाई जाती है.

*गुड़िया को पीटने की परंपरा*…..

आखिर क्या है। इस परंपरा के पीछे कारण देखिए इस रिपोर्ट में….

उत्तर प्रदेश में नागपंचमी के दिन एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। और यह परंपरा गांवों में आज भी अपना अस्तित्व रखती है। इस परंपरा का एक दृश्य कानपुर देहात में भी छोटे-छोटे बच्चों द्वारा देखने को मिला। आखिर क्या है। जिसमें बच्चों ने कपड़ों से निर्मित खिलौने गुड़िया की विधि विधान से पूजा करके उनको जल प्रवाह कर रंगे हुए डंडों से उन को पीटा……इसके पीछे कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं. एक कथा के मुताबिक, तक्षक नाग के काटने से राजा परीक्षित की मौत हो गई थी. कुछ वर्षों के बाद तक्षक की चौथी पीढ़ी की कन्या का विवाह राजा परीक्षित की चौथी पीढ़ी में हुआ विवाह के बाद उसने अतीत का यह राज एक सेविका को बता दिया कन्या ने सेविका से कहा कि वह यह बात किसी और को ना बताएं लेकिन उससे रहा नहीं गया। और उसने यह बात एक दूसरी सेविका को बता दी। इस तरह बात फैलते फैलते ही पूरे नगर में फैल गई जब तक्षक के राजा के पास पहुंचती है।तो उसको क्रोध आ जाता है उसी समय तक्षक के राजा ने नगर की सभी स्त्रियों को बुलाकर चौराहे पर इकट्ठा करके सभी को कोड़ों से पिटवाकर उन्हें मरवा दिया. राजा को इस बात का गुस्सा था। कि औरतों के पेट में कोई बात नहीं पचती और इस वजह से उसकी पीढ़ी से जुड़ी अतीत की एक पुरानी बात पूरे साम्राज्य में फैल गई. मान्यताओं के अनुसार, तभी से यहां गुड़िया पीटने की परंपरा मनाई जा रही।
*रिपोर्ट..soni news के लिये मनोज सिंह कानपुर देहात*
बाइट.. अरूण कुमार सिंह–ग्रामीण