उरई(जालौन)।लॉकडाउन की आहट होते ही गुटखा व्यापारियों ने भी मोटा मुनाफा कमाने के लिए तैयार है।

इसके लिए गुटखा व्यापारियो ने अभी से गुटखा डंप करना शुरू कर दिया है। गुटखा एजेंसियों पर भी बहुत ही कम मात्रा में गुटखा दिया जा रहा है। जिससे बाजार में गुटखे की किल्लत हो गई है।
इसका फायदा उठाते हुए व्यापारियों ने अभी से ही गुटखे ऊंचे दामों पर बेचने शुरू कर दिए हैं।
वही शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र हर जगह भी छोटे दुकानदारों को भी मजबूरी में निर्धारित रेट से अधिक पर गुटखा बेचने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
आपको बताते चलें कि पिछले वर्ष लॉकडाउन के दौरान जिले में गुटखा माफियाओं ने काफी मुनाफा कमाया था।
निर्धारित रेट से अधिक दामो पर गुटखे की बिक्री हुई थी।
दस रुपये वाला गुटखा 50 व 2 रुपये वाला गुटखा 10 रुपये तक में बिका था।
मजबूरी में लोगों ने ऊंचे दामों पर गुटखा खरीदा था।
जिससे बड़े गुटखा व्यापारियों को करोड़ों रुपये का मुनाफा हुआ था। एक बार फिर से यह गुटखा व्यापारी पिछले वर्ष की तरह मुनाफा कमाने के लिए तैयार बैठे हैं।
प्रदेश में लॉकडाउन की आहट होने लगी है।
अब शनिवार व रविवार दो दिन का वीकेंड लॉकडाउन,नाइट कफ्र्यू आदि लागू होने के बाद स्थिति धीरे-धीरे लॉकडाउन की और जाती दिखने लगी है।
इसका फायदा उठाते हुए गुटखा व्यापारी भी माल को डंप करने लगे हैं।
हालत यह है कि बाजार से गुटखे लगभग गायब होने लगे हैं।
लगातार सप्लाई होने के बाद भी गुटखा व्यापारियों की जमाखोरी की वजह से इसके दाम अभी से बढऩे शुरू हो गए हैं।
दस रुपये वाला गुटखा 15 रुपये, 20 वाला गुटखा 25 से 30 रुपया में बेचा जा रहा है।
इसी तरह अन्य गुटखों व तम्बाकू उत्पादों का भी यही हाल है। इसके चलते मजबूरी में ऊंचे दामों पर गुटखा खरीद रहे छोटे दुकानदार भी ऊंचे दामों पर गुटखा बेचने को मजबूर हो रहे हैं।

👉🏻खास बात तो यह है कि इतना सब कुछ होने के बाद भी प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं और गुटखा की जमाखोरी कर रहे व्यापारियों के खिलाफ कोई ठोस कदम क्यो नहीं उठा रहे हैं।
वही इस जमाखोरी का खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ रहा है।

 

रिपोर्ट-अमित कुमार जनपद जालौन।