एक्टिविस्ट डॉ नूतन ठाकुर ने आज आरोप लगाया कि बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री द्वारा 09 जून 2020 के प्रेस कांफ्रेंस में अभ्यर्थी राहुल द्वारा मई 2020 में दी गयी शिकायत से पहले 69000 शिक्षक भर्ती में गड़बड़ी को लेकर कोई भी बात सामने नहीं आने विषयक दावा पूरी तरह असत्य है.

नूतन ने कहा कि इस बात का सबसे बड़ा सबूत परीक्षा की तारीख 06 जनवरी 2019 को समय 23.38 बजे थाना हजरतगंज, लखनऊ में एसटीएफ के इंस्पेक्टर ब्रिजेन्द्र शर्मा द्वारा दर्ज करवाया गया एफआईआर संख्या 19/2019 धारा 409, 420, 120बी, 34 आईपीसी व 66 आईटी एक्ट है. उन्होंने कहा कि इस मुकदमे में नेशनल इंटर कॉलेज के प्राचार्य उमाशंकर सिंह तथा थाना गोसाईंगंज में तैनात सिपाही अरुण कुमार सिंह सहित 14 लोग नामजद किये गए थे, जिसमे 02 अभ्यर्थी सहित 09 लोग मौके पर पकडे गए थे. पकडे गए लोगों से सेट-ए की उत्तर कुंजी तथा प्रश्नपत्र बरामद हुए थे. साथ ही इन लोगों के मोबाइल नंबर से स्पष्ट हुआ था कि परीक्षा के पहले की उत्तर कुंजी लीक हो चुकी थी. अरुण सिंह ने अपने बयान में स्वीकार किया था कि भूगर्भ जल संस्थान मेरठ में कार्यरत उसके भाई अजय सिंह ने पेपर लीक कराया था, जिसमे कानपुर नगर निगम में राजस्व निरीक्षक जितेन्द्र कुमार वर्मा भी शामिल था. इन लोगों ने 3-5 लाख में कई अभ्यर्थियों को पेपर बेचा था. अरुण सिंह ने बताया कि अजय सिंह ने ग्राम विकास परीक्षा का पेपर भी लीक किया था. अरुण सिंह से अभ्यर्थियों द्वारा दिए गए 13 चेक भी बरामद हुए थे.

नूतन ने कहा कि इतनी स्पष्ट जानकारी के बाद भी एसटीएफ ने इस मामले में कोई अग्रिम कार्यवाही नहीं की और न ही सरकार ने उसी समय परीक्षा निरस्त किया, जिससे इस मामले को दबाने में सरकार और एसटीएफ की मंशा साफ़ जाहिर हो जाती है.

उन्होंने कहा कि इन स्थितियों में एसटीएफ जाँच का कोई अर्थं नहीं है. अतः उन्होंने सीबीआई जाँच की मांग करते हुए परीक्षा को तत्काल निरस्त करने की मांग की.