ओला वृष्टि से फसलों KO नुकसान पांच मिनट तक बेर के आकार के ओले गिरते रहे

कोंच।लोगों की रविवार की सुबह ओलों के साथ हुई है। तगड़ी बौछार के साथ लगभग पांच मिनट तक बेर के आकार के ओले गिरते रहे और किसानों के कलेजे दहशत में कांपते रहे। जब ओला वृष्टि बंद हुई तब किसानों ने खेतों की ओर दौड़ लगाई। यह देख कर उन्होंने राहत की सांस ली कि फिलहाल इस वृष्टि में फसलों को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ लेकिन ऐसी पुनरावृत्ति फिर न हो, ऐसी कामना वे ईश्वर से करते देखे गये। प्रशासन ने ओला वृष्टि से हुये नुकसान का जायजा लेने के लिये राजस्व कर्मियों की टीमों को लगा दिया है। तहसीलदार भूपाल सिंह के मुताबिक इस ओला वृष्टि से फसलों में किसी नुकसान की खबर नहीं है।

रविवार की सुबह आसमान पर हालांकि बादल घुमड़ रहे थे लेकिन किसी को ये अंदेशा नहीं था कि ओले भी गिर सकते हैं। लगभग नौ बजकर दस मिनट पर अचानक ही तड़तड़ की आवाजें आने लगी और गरज के साथ ओलों की शुरू हो गई जो तकरीबन पांच-सात मिनट तक जारी रही। इस ओला वृष्टि में बेर के आकार के ओले गिरे थे। मजा लेने बाले ओलों में सेल्फी का भी आनंद लेते रहे तो कईयों ने थालियों आदि में इन्हें भरना शुरू कर दिया। इसके बाद हल्की बूंदाबांदी भी हुई जिसके चलते बैरोमीटर में पारा लुढक कर नीचे आ गिरा और सर्दी बढ गई। बच्चों ने गिलासों में भर कर ओलों का मजा बर्फ के गोलों की तरह भी लिया। मिली जानकारी में बताया गया है कि ओलों का सबसे ज्यादा असर शहरी क्षेत्र में रहा, ग्रामीण अंचलों में कमोवेश इनकी मात्रा काफी कम रही जिससे नुकसान होते होते बच गया। गोराकरनपुर, पचीपुरा कलां, गुरावती, छानी, भेंड़, पडऱी, भदारी, अंडा, महंतनगर, घुसिया आदि इलाकों में भी ओले गिरने की खबरें तो हैं लेकिन फसलों का नुकसान बच गया बताया गया है। इधर, प्रशासन ने भी राजस्व कर्मियों की टीम को फसलों में हुये नुकसान का जायजा लेने के लिये लगाया है। खुद तहसीलदार भूपाल सिंह ने भी कई इलाकों में खेतों में जाकर फसलों को देखा है।
उन्होंने बताया है कि फिलहाल फसलें सुरक्षित हैं। पूरी रिपोर्ट आने के बाद नुकसान की तस्वीर साफ हो सकेगी। उधर, नदीगांव इलाके में ओले गिरने की कोई सूचना नहीं है।

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