मानवेन्द्र आजाद जो के आजाद भारत पार्टी मिशन 100 के संस्थापक है ने जिस बात की चिंता कर के सरकार से निम्न व मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए आर्थिक सहायता की बात कही थी जिसमे लोक नायक मानवेन्द्र आजाद ने कहा था की निम्न व मध्यम वर्गीय परिवार आर्थिक अवसाद में है और उनके ऊपर रोज़गार न होने से वह परेशान है जिसमे स्कूल की फ़ीस बिजली का बिल बुजुर्ग माता पिता की दवाइयां और रोजाना की अवश्यक्ताओ के खर्चे से ऐसे लोग आर्थिक अवसाद में है साथ ही साथ व मानसिक रूप से भी परेशान है |उनकी इस बात पर मोहर लगाती है देश के मनोचिकित्सकों की सबसे बड़ी एसोसिएशन इंडियन साइकियाट्रिक सोसायटी जिनके सर्वे के मुताबिक, कोरोनावायरस के आने के बाद देश में मानसिक रोगों से पीड़ित मरीजों की संख्या 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से हुए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से मानसिक अवसाद के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. बंगाल समेत विभिन्न राज्यों में इसकी वजह से कम से कम एक दर्जन लोगों ने आत्महत्या कर ली है.
देश भर में मानसिक अवसाद की वजह से आत्महत्या के मामलों को छोड़ भी दें तो भारी तादाद में लोग अवसाद की चपेट में आ रहे हैं. कोई कमाई ठप्प होने से अवसाद में है यही वजह है कि अस्पतालों के मानसिक रोग विभाग में ऐसे मरीजों की कतारें दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही हैं. जिस प्रकार मानवेन्द्र आजाद ने लाक डाउन शुरू होने के पहले ही हफ्ते में मजदूरो को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए सरकार से उनकी सुरक्षित घर वापसी के लिए पहल की थी ठीक उसी प्रकार लोक नायक मानवेन्द्र आजाद ने निम्न व मध्यम वर्गीय परिवारों के आर्थिक अवसाद को लेकर भी बहुत पहले सरकर से निवेदन किया था जिस पर कई राज्यों व शहरो से लोगो ने विभिन्न माध्यमो के द्वारा उनके इस कदम की सरहना भी की है | ऐसे में IPS के सर्वे ने भी इस बात की पुष्टि कर दी है और लोगो के आत्महत्या करने के नित्य नए मामले भी इस और इशारा कर रहे है की अगर सरकार ने कोई निर्णय जल्द न लिया तो स्थितिया गंभीर हो सकती है
सर्वे बताता है कि मरीजों की यह संख्या एक हफ्ते के अंदर ही बढ़ी है और वैश्विक महामारी इसका एक कारण हो सकता है। लोगों में लॉकडाउन के चलते बिजनेस, नौकरी, कमाई, बचत और यहां तक कि मूलभूत संसाधन खोने तक डर भी इसका कारण माना जा रहा है।