हर परिस्थिति में प्रसन्न रहिये प्रसन्नता ही परमात्मा की सर्वोच्च भक्ति है।-कृष्ण चन्द्र शास्त्री ठाकुर जी

 

पारीछा में चल रही श्री श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस का प्रसंग सुनाते भागवत कृष्ण चन्द्र शास्त्री ठाकुर जी

झाँसी। रेलवे स्टेशन रोड़, पारीछा में चल रही श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस का प्रसंग सुनाते हुए भागवत भास्कर कृष्ण चन्द्र शास्त्री (ठाकुर जी) ने आज कहा कि- हर परिस्थिति में प्रसन्न रहिये प्रसन्नता ही परमात्मा की सर्वोच्च भक्ति है। प्रभु के चरणों में जिनकी रति हो हो जाती है वे सब जीवों मे भगवान को देखते हैं। भक्ति का सिद्धान्त विष्वास है। बिना विष्वास के भक्ति के प्राप्त नहीं होते इसलिये जो सम्बन्ध प्रिय लगे वह भगवान से जोड़ो।


प्रहलाद चरित्र एवं भगवान के पांचवे अवतार कपिल मुनि का प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि- इंद्रियों को वष में करने का एक ही तरीका है संयम के माध्यम से इंद्रिय रूपी घोड़ों को वष में किया जा सकता है। बिना सत्संग के भक्ति दृढ़ नहीं होती। प्रजापति महाराजा दक्ष के यज्ञ में सती द्वारा प्राण त्याग ने की कथा का प्रसंग सुनाते हुये वे कहते हैं कि षिव विष्वास, सती श्रद्धा, कार्तिकेय, पुरूषार्थ एवं गणेष विवेक हैं। षिव परिवार को अनूठा बताते हुये उन्होने कहा कि- षिव परिवार के समान स्वंय का परिवार बनाओ तो घरों में विषमता नहीं आयेगी समता ही रहेगी। विस्वाश को जगाओ, श्रद्धा को प्रस्फुटित रखो और विवेक के साथ पुरूषार्थ करो यही षिव परिवार का संदेष है।
अपने श्रीमुख से ज्ञान गंगा बहाते हुए कथा व्यास ने कहा कि संसार में सबसे निर्मल और ऊँचा बेटी और पिता का रिष्ता होता है पिता और बेटी का रिष्ता अहेतु का रिष्ता है पुत्र तो कदाचित कुपुत्र हो सकता है परन्तु पुत्री कभी भी कुपुत्री नहीं हो सकती। मन की वृत्तियों को अंतरमुखि बनायें तो माया का प्रभाव नहीं पड़ेगा। बंधन में तो सिर्फ मन होता है इसलिये मुक्ति भी मन को ही चाहिए मन चंचल है इसे सत्संग अथवा अष्टांग योग से ही वष में किया जा सकता है। उन्होनें कहा कि बुराईयों से जीवन में कभी समझौता नहीं करना चाहिए वे ज्यादा खतरनाक होती हैं और हमें पतन की ओर ले जाती हैं। यही कारण है कि सतोगुणी लोग जीवन में ऊपर उठते हैं तमोगुणी लोग रसातल में चले जाते हैं। शाकाहारी भोजन अपनाने की सलाह देते हुये वे कहते हैं कि विज्ञान के अनुसार शाकाहारी लोगों की उम्र मांसाहारी भोजन करने वालों से अधिक होती है।
सूर्यग्रहण के समय भोजन को निषेध बताते हुये उन्होने कहा कि सूर्य अदिति का पुत्र है इसलिये उसे आदित्य भी कहते हैं। सूर्य की रोषनी का प्रभाव मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार पर भी पड़ता है। सूर्य का प्रकाष यदि एक घंटे के लिये भी बाधित हो जाये तो कई रोगों के साथ महामारी जैसे संक्रामक रोगों को जन्म देता है। इसलिये सूर्यग्रहण के समय भोजन करना निषेध बताया गया है विष्व में सबसे प्राचीनतम एवं सर्वश्रेष्ठ सनातन धर्म है। मनु सतरूपा का प्रसंग सुनाते हुये उन्होंने हरिजन शब्द की शब्दिक व्याख्या करते हुये कहा कि हम सब हरि की सन्नतान हैं जिनकी भावना, विचार, खान-पान एवं आचरण शुद्ध है वही हरिजन है अर्थात् हम सब हरि के जन हैं। परमात्मा की सृष्टि को अनूठा और अद्धभुत बताते हुये कहा कि जिसकी संरचना इतनी सुन्दर है वह कितना सुन्दर होगा?
अंगुलीमाल का प्रसंग सुनाते हुये कहा कि जो जीवन देने की शक्ति रखता है उसे ही मारने का अधिकार है। यदि जोड़ नहीं सकते तो तोड़ने का कोई अधिकार नहीं जीव हिंसा से बचने की सलाह देते हुये कहा कि परमात्मा के संविधान के अनुसार हर कर्म का फल जीव को भोगना पड़ता है इसलिये हमेषा सत्कर्म ही करना चाहिए। हमारा कर्म ही हमें सुख-दुख देता है आज किये कर्म का फल हमें करोड़ों वर्षों के बाद भी भोगना पड़ेगा लेकिन ज्ञान के पथ पर जो बुरे कर्म करने वाले भी चल पड़ते हैं तो ज्ञानरूपी अग्नि में उनके बुरे कर्मों का दहन हो जाता है। वर्तमान में आनन्द से जियो तुम्हारा भविष्य भी सुखमय व सुन्दर होगा। राक्षस का जन्म उसके कर्मों का फल है और हमें दुष्टों से जो कष्ट प्राप्त होता है वह हमारे कर्मों का फल है। ब्रम्हा जी के चारों पुत्र सनत, सनातन, सनन्दन और सनत कुमार नामक ऋषियों का प्रसंग कहते हुय कथा व्यास ने कहा कि आत्मा तो केवल वस्त्र बदलती है यह तथ्य केवल आत्मज्ञानी ही समझ सकते हैं। भक्तों की आयु लम्बी और दुष्टों की आयु कम होती है जीभ और दांतों का उदाहरण देते हुये उन्होंने कहा कि जीभ बालक के मुख में पहले आती है और आखिरी तक रहती है, दांत सख्त हैं जो बाद में आने के बाद भी पहले चले जाते हैं। अर्थात् व्यक्ति जितना नम्र बने, व्यवहार आचरण में जितनी शीलता बरतें उतनी ही अधिक उम्र उसे प्राप्त होती है। भारत की युवा पीढ़ी को वेदों की अध्ययन की सलाह देते हुये उन्होंने कहा कि नासा के वैज्ञानिकों द्वारा पिछले 50 वर्षों से वेदों पर रिसर्च की जा रही है और हमारे यहां हमें वेद पढ़ने का समय ही नहीं है। इसलिये वेदों का अध्ययन कर निष्ठा से कर्म करो सुख-दुख जब भी आये दोनों को प्रणाम करो।
प्रारम्भ में मुख्य यजमान श्रीमती कमली राजीव सिंह पारीछा (विधायक बबीना) ने श्रीमद् भागवत पुराण का पूजन कर आरती उतारी एवं मंच पर विराजमान श्रीधाम अयोध्या के महंत वैदेही बल्लभ शरण एवं वासुदेवानन्द महंत खेरापति सरकार, ददरूआ सरकार स्वामी रामदास जी महाराज, नगर धर्माचार्य हरिओम पाठक, भिक्खु कुमार काष्यप महाराज बौद्ध बिहार पारीछा का तिलक एवं माल्यार्पण कर शुभाषीष लिया। संचालन एवं आभार पं0 हरिओम थापक ने व्यक्त किया।
इस मौके पर पूर्व केन्द्रीय मंत्री प्रदीप जैन आदित्य, उ.प्र. सरकार के राज्य मंत्री मनोहर लाल पंथ ‘मन्नू कोरी’, एम.एल.सी. विद्यासागर सोनकर, पं. अतुल शर्मा (वैद्यनाथ), पूर्व मंत्री रवीन्द्र शुक्ल, पूर्व मंत्री अवधेष नायक, भाजपा के क्षेत्रीय संगठन मंत्री भवानी सिंह एवं ओमप्रकाष, गरौठा विधायक जवाहर लाल राजपूत, मऊरानीपुर विधायक बिहारीलाल आर्य, जिलाधिकारी षिवसहाय अवस्थी, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक डाॅ. ओ.पी. सिंह, पूर्व विधायक घनष्याम पिरौनिया, विषुनसिंह यादव, इं. आर.के. त्रिवेदी, इं. रामकुमार शुक्ला, बसपा नेता जुगल कुषवाहा, वरिष्ठ भाजपा नेता जसवंत सिंह सोलंकी, पूर्व महानगर अध्यक्ष प्रदीप सरावगी, यषवीर जी, एस.आर.आई. के चेयरमैन रमेष अग्रवाल, राकेष बघेल, डाॅ. आषीष अग्निहोत्री, डाॅ. राजीव शुक्ला, कम्मू तिवारी, प्रषान्त गुप्ता बाॅबी, राजेष पाल, अनिल सोनी, हरिष्चन्द्र आर्य, श्रीमती मुक्ता-विजय सोनी, दीपक कठिल, दीपक अग्रवाल, महेष अग्रवाल रेमण्ड, अभिषेक भार्गव, अम्बिका मुखिया पहाड़ी, सुनील गुप्ता बब्बल, सतीष षरण अग्रवाल, मनीष नीखरा, रामनरेष यादव, जगदीष प्रसाद गौतम पार्षद कन्हैया कपूर, पार्षद दिनेष प्रताप सिंह ‘बंटी राजा’, रजत उदैनिया, स्वराज स्वामी, रमाषंकर गुबरेले, गिर्राज राजपूत, बलराम राजपूत, बंटी जैन, करूणेष बाजपेई, जगदीश कुषवाहा आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट – अरुण वर्मा
SONI NEWS JHANSI

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