जालौन-अब एक ही लक्ष्य निपुण बनना ताकि गर्व से कह सकें कि मैं हूँ निपुण-

उरई(जालौन)।सफलता यूँ ही नही मिलती जीवन के पथ पर बहुत परीक्षा से गुजरना पड़ता है कहते है कि हर सफल कहानी के पीछे बहुत सारा संघर्ष छिपा होता है और हम इस कहानी के असल कलाकार है तो क्यूँ न हम कुछ ऐसा लिखे जो इतिहास बन जाए।
ऐसी ही कहानी निपुण बालिका मानसी की मानसी जनपद के दौनापुर गाँव की रहने वाली है जो कम्पोजिट उ.प्रा.वि. दौनापुर में कक्षा 3 की छात्रा है।
मानसी बताती है कि निपुण बनने के लिए उन्होने काफी मेहनत की। शुरुआत में काफी दिक्कतों का सामना किया।
उन्हें परीक्षा से डर भी लगता था।
मानसी की रुचि किताबों को पढ़ना गाना गाना व नृत्य करना है।
बजाय खेलने के उसने दिन रात मेहनत करके निपुण लक्ष्य प्राप्त किए।
मानसी के लिए चारों लेविल की परीक्षा पास करना इतना आसान नही था। कहते है कि सफलता की सीढ़ी चढ़ने के लिए उचित वातावरण होना बहुत जरूरी है। इसके लिए विद्यालय के शिक्षिका शिक्षक, व माता-पिता ने उन्हे एक उचित माहौल दिया।
इसके साथ-साथ शिक्षिका हिना मैम ने हर विषय के नोट्स तैयार किए और बहुत से प्रश्नपत्र बनाए जिसे हर रोज वह ओ एम आर शीट पर हल करवाती व एप्स के जरिए पढ़ना व प्रश्न हल करना भी बताती।
कहते कि अगर लक्ष्य सामने हो तो भेदना ही पड़ता है।
धीरे धीरे मेरा परीक्षा से डर भी निकल गया।
परीक्षा देते समय बस मैम की एक बात याद रहती “अभी एक ही लक्ष्य है- निपुण बनना ताकि गर्व से कह सको मैं हूँ निपुण ।