पंचशील का पालन करने वाले ही बौद्ध- डॉ स्वरूपानंद महाथेरा

उरई/जालौन।नव -निर्वाण प्रबुद्ध भारत धम्म मिशन द्वारा संचालित प्रबुद्ध भारत कॉन्फ्रेंस एवं बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह में उपासकों ने बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण की। इस दौरान कार्यक्रम स्थल पर जय भीम..के जयकारे गूंजते रहे। बौद्ध भिक्षुओं ने पंचशील का अर्थ समझाते हुए वक्ताओं ने कहा कि जो उपासक पंचशील का संकल्प लेगा, उसी का कल्याण होगा।

जालौन रोड पंचशील नगर में प्रबुद्ध भारत कॉन्फ्रेंस एवं एवं बौद्ध धम्म दीक्षा समारोह का समापन के दिन महात्मा बुद्ध के चित्र पर माल्यार्पण से हुआ। देश के कोने कोने से आए बौद्ध भिक्षु मंच पर आसीन हुए। बौद्धाचार्य परम पूजनीय डॉ स्वरूपानंद महाथेरा ने कहा पंचशील का पालन करने वाला कभी गलत काम नहीं कर सकता। पंचशील का अर्थ है, शरीर की शुद्धता, ¨हसा न करना, चोरी न करना, गंदे आचरण से विरत रहना, वाणी की शुद्धता। बौद्ध की कोई जाति नहीं होती। पंचशील पर अमल करने वाले बौद्ध होते हैं। हमने आज तक अपनी जाति को नहीं छोड़ा है। संकल्प लेना होगा कि हम पंचशील का पालन करते हुए बौद्ध बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर भारत को बौद्धमय बनाना चाहते थे। धम्म जीवन जीने का सुंदर रास्ता है। भगवान बुद्ध के संबंध में बताते हुए कहा, दुखों के निवारण की खोज में उन्होंने जीवन न्यौछावर कर दिया। बौद्ध धर्म अपनाने वाले मिथ्या नजर त्यागें एवं धम्म मार्ग पर चलें। इस दौरान बड़ी संख्या में बौद्ध धर्म उपासक उपस्थित रहे।

इस अवसर पर एक तरुण युवक ने अपनी 22 साल की उम्र में बौद्ध धम्म में सन्यास ग्रहण किया और प्रबज्या ग्रहण कर परिव्राजक बन गया उन्होंने यह बैराज की भावना भगवान बुद्ध और उनका धम्म ग्रंथ को पढ़ते पढ़ते जाग्रता हुई जिसमें 2020 में बीएससी बायोटेक्नोलॉजी से कानपुर विश्वविद्यालय से उच्चतम अंकों के साथ पास की जो अब बौद्ध भिक्षु के रूप में असंखब्रिज के नाम से जाने जाएंगे । इनका पूर्व नाम सचिन गौतम है जो एनसीआर गाजियाबाद के रहने वाले हैं इनके पिता उत्तर प्रदेश परिवहन डिपो में नौकरी करते हैं आज इस उम्र में सन्यास ग्रहण करना एक गौरवपूर्ण बात है।

रिपोर्ट-अमित कुमार जनपद जालौन।