सूबे के मुखिया एक तरफ भृष्टाचार को लेकर सख्त नज़र आ रहे है।वही कानपुर देहात जिले के एक गांव के प्रधान औऱ प्रधान सचिव मिलकर अनोखा खेल सामने आया है कि कैसे जिलाधिकारी की बिना स्वकृति के 28 लाख की गांव में दुकानें बनाकर रुपए भी निकाल लिए जबकि दुकाने अभी भी अधूरी पड़ी हुई है।जिसकी जांच अब मुख्यविकास अधिकारी ने जिला पंचायतराज अधिकारी को दी है।

ग्राम पंचायत के प्रधानों के 25 दिसम्बर को कार्यकाल पूरे हो चुके है।ऐसे में इन पांच सालों में ग्राम सभा मे कराए गए विकास कार्यो की जांच उच्चाधिकारियों ने शुरू की तो एक के बाद एक कई गांव भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़े हुए है। ऐसा ही एक ग्राम सभा के गांव डिलवल का है जहा प्रधान औऱ प्रधान सचिव ने मिलकर गांव में विकास कार्य को छोड़ गांव में 28 लाख की दुकानें बनवा डाली जिसकी स्वीकृति न ही जिलाधिकारी से ली और न ही मुख्यविकास अधिकारियों से ली।लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि इतनी बड़ी रकम अधूरे पड़े निर्माण से पहले ही निकलवा ली गई।जब इस बात की जानकारी जिले के उच्चाधिकारियों को लगी तो उन्होंने इस कि जांच जिला पंचायती राज अधिकारी को सौप दी।जिसकी जांच चल रही है।वही जब इस मामले को लेकर प्रधान पुत्र अश्वनी चौबे से बात की तो बताया कि मेरे पीछे मेरे विरोधी पड़े हुए है मैने किसी काम को नही गलत तरीके से किया है।गांव के विकास को लेकर ही काम कराया है।इस काम के लिए मेने अलग अलग दुकानें बनवाई है अगर एक काम को करते है तब जिलाधिकारी से अनुमति ली जाती है।

इस पूरे मामले को लेकर मुख्यविकास अधिकारी सौम्या पांडे ने कहा कि इस मामले की जांच (जिला पंचायती राज अधिकारी) डीपीआरओ को दी गई है जिसकी जांच चल रही है।लेकिन सबसे बड़ी बात है कि कैसे अधूरे पड़े काम का रुपया निकल गया और गांव में बनाई गई दुकानो की स्वीकृति क्यों नही ली गई थी।अब देखने वाली बात होगी कि इस मामले को लेकर प्रशासन क्या कार्यवाही करता है।प्रधान औऱ प्रधान सचिव पर।

*रिपोर्ट:मनोज सिंह soni news कानपुर देहात*