नई दिल्ली/राजघाट ,
श्रीमती प्रियंका गांधी वाद्रा ने जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि परम आदरणीय श्री मल्लिकार्जुन खरगे जी, श्री वेणुगोपाल जी, श्री अधीर रंजन जी, मुकुल वासनिक जी, मंच पर बैठे सारे कांग्रेस के नेतागण, मेरे प्यारे कार्यकर्ता, यूपी के मेरे सारे साथी, हम आज यहाँ… यहाँ पर बैठे हुए मेरे मन में एक पुरानी बात आई, 32 साल पुरानी बात है। मई, 1991 की बात है, मेरे पिता की शव यात्रा तीन मूर्ति भवन से निकल रही थी। अपनी माँ के साथ और अपने भाई के साथ हम एक गाड़ी में बैठे थे, सामने भारतीय सेना का एक ट्रक था, फूलों से लदा हुआ था, उसके ऊपर मेरे पिता जी का शव था। थोड़ी देर काफिला चला, 5-10 मिनट चला, फिर राहुल कहने लगे कि मैं उतरना चाहता हूँ, माँ ने मना किया, उस समय सुरक्षा का भी बहुत.. था, तो मैं ने कहा कि नहीं तुम उतर नहीं सकते। राहुल ने जिद की कि नहीं मैं उतरूँगा। मैंने माँ से कहा कि माँ उतरने दो। राहुल गाड़ी से उतरकर, उस सेना के ट्रक के पीछे चलने लगा और तीन मूर्ति से लेकर कड़ी धूप में अपने पिता जी के जनाजे के पीछे-पीछे पैदल चलते, चलते, यहाँ पहुँचा। इस जगह से कुछ 400-500 गज दूर, यहाँ पर मेरे शहीद पिता के अंतिम संस्कार मेरे भाई ने किए।

वो चित्र मेरे दिमाग में अभी भी है, मेरे मन में है। मेरे पिता का शव इस तिरंगे झंडे में लपेटा गया था। इस तिरंगे के नीचे मेरे पिता का शव था और उसके पीछे चलते-चलते मेरा भाई यहाँ आया। उस शहीद पिता का अपमान भरी संसद में किया जाता है। उस शहीद के बेटे को आप देशद्रोही कहते हैं, आप मीर जाफर कहते हैं, उसकी माँ का अपमान करते हैं। आपके मंत्री मेरी माँ का अपमान भरी संसद में करते हैं।

आपके एक मुख्यमंत्री कहते हैं कि राहुल गांधी को पता भी नहीं है कि उनके पिता कौन हैं। आपके प्रधानमंत्री भरी संसद में खड़े होकर कहते हैं कि ये परिवार नेहरू नाम को इस्तेमाल क्यों नहीं करता? पूरे परिवार का अपमान करते हैं। कश्मीरी पंडित समाज के रिवाज का अपमान करते हैं, जिसके तहत एक बेटा अपने पिता के मरने पर पगड़ी पहनता है, परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाता है, लेकिन आप पर कोई मुकदमा नहीं होता, आपको कोई दो साल की सजा नहीं मिलती। आपको जेल की सजा नहीं मिलती। आपको संसद से कोई बाहर नहीं निकालता। आपको मना नहीं करता कि 8 सालों के लिए आप चुनाव नहीं लड़ सकते, क्यों?, मैं पूछना चाहती हूँ, क्यों?

आज तक हम चुप रहे हैं, हमारे परिवार का अपमान करते गए, करते गए, करते गए। मेरे भाई ने क्या कहा, संसद में वो मोदी जी के पास गए और उनके गले लगे। मेरे भाई ने कहा- मैं आपसे नफ़रत नहीं करता हूँ। मेरे दिल में आपके लिए कोई नफ़रत नहीं है। हमारी विचारधारा अलग है, लेकिन हमारी नफ़रत की विचारधारा नहीं है। तो मैं पूछना चाहती हूँ कि एक आदमी का कितना अपमान करोगे, कितना अपमान करोगे, क्या यही है इस देश की परंपरा? आप परिवारवादी कहते हैं तो भगवान राम कौन थे? भगवान राम को वनवास के लिए भेजा गया। उन्होंने अपने परिवार, अपनी धरती के प्रति अपना धर्म निभाया, क्या भगवान राम परिवारवादी थे? क्या पांडव परिवारवादी थे कि वो अपने परिवार के संस्कारों के लिए लड़े और हमें क्या शर्म आनी चाहिए कि हमारे परिवार के सदस्य शहीद हुए इस देश के लिए कि इस झंडे में उनका खून है, इस धरती में उनका खून है।

इस देश के लोकतंत्र को मेरे परिवार के खून ने सींचा है और जो सोचता है कि हमें अपमानित करके हमें डराएंगे, हमें धमकाएंगे, जो सोचता है कि तमाम एजेंसियों को लगाकर, हम पर छापे मारकर, कुछ भी कर लें, हमें डराएंगे, वो गलत सोचते हैं, हम डरने वाले नहीं हैं। हम और मजबूती से लड़ेगे, हम इस देश के लोकतंत्र के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हैं। इस देश के लोकतंत्र को, इसकी नींव कांग्रेस पार्टी के महान महापुरुषों ने डाली है। कांग्रेस पार्टी लड़ी, इस देश की आजादी के लिए और आज भी इस देश की आजादी के लिए ही लड़ रही है।

कभी-कभी मैं सोचती हूँ, मुझे समझ नहीं आता कि पब्लिक क्या सोच रही है, क्या देख नहीं रही है कि क्या हो रहा है? क्या आपको दिख नहीं रहा है कि आपकी सारी संपत्ति लूटी जा रही है, एक आदमी को दी जा रही है, गिने-चुने उद्योगपतियों को सब कुछ दिया जा रहा है। किसकी संपत्ति है, ये, राहुल गांधी की संपत्ति है? ये आपकी संपत्ति है। ये पीएसयू किसके हैं, किसके लिए बनाए गए- आपके लिए बनाए गए, जो ऐसे एक के बाद एक इनको बेचे जा रहे हैं, दिए जा रहे हैं। इन्हीं से तो आपका रोजगार आता है। छोटे उद्योगों से, छोटे व्यापारियों से आपका रोजगार आता है। किसी बड़े अडानी से नहीं आता। रोजगार नहीं देते, छीनते हैं आपका रोजगार। तो आप समझ क्यों नहीं पा रहे हैं? आप गैस के सिलेंडर के लिए ग्यारह सौ रुपए दे रहे हैं और यहाँ आपकी संपत्ति किसी को सौंपी जा रही है।

राहुल गांधी जी ने क्या कहा? अरे, कौन सा इतना बड़ा जुल्म कर लिया कि आपसे दो सवाल पूछ लिए, जवाब नहीं दे पाए न, घबरा गए और जो अहंकारी होते हैं, तानाशाह होते हैं, क्या करते हैं, जब सवालों का जवाब नहीं दे पाते तो पूरी सत्ता को लेकर जनता को दबाने की कोशिश करते हैं। जो सवाल उठाता है, उसको दबाने की कोशिश करते हैं।

आपने कभी सोचा है, आँखें खोलिए, आपने कभी सोचा है कि ये पूरी सरकार, ये सारे मंत्री, ये सारे सांसद एक आदमी को बचाने की क्यों इतनी कोशिश कर रहे हैं? इस अडानी में है क्या कि इसको आप सारी संपत्ति दे रहे हो, देश की। बीसियों हजारों करोड़ शैल कंपनियों में इनके हैं औऱ आप इन पर इंक्वायरी नहीं कर सकते हैं। ये अडानी हैं कौन कि आप सब उनका नाम उठते ही बौखला जाते हैं औऱ उनको बचाने में लग जाते हैं।

देखिए, आप इस देश के देशवासी हैं, ये देश आपका है, ये लड़ाई आपकी है। आज तमाम नौजवान बेरोजगार क्यों हैं? हम इश्तेहार तो देख रहे हैं, होर्डिंग देख रहे हैं, मदर ऑफ डेमोक्रेसी लिखा है, कहते हैं कि हमारी अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से आगे बढ़ रही है, तो इतने नौजवान बेरोजगार क्यों हैं? तो जहाँ-जहाँ हम जाते हैं, बेरोजगार नौजवान क्यों दिखते हैं? इतनी महंगाई क्यों है? क्या आप इतने बड़े काम कर सकते हो, लेकिन एक गैस सिलेंडर का दाम कम नहीं कर सकते? आप छोटे व्यापारियों की मदद नहीं कर सकते, आप रोजगार नहीं बनवा सकते, तो फिर आपकी सरकार किस काम की है- लोगों को दबाने के लिए है या अडानी जी को आगे बढ़ाने के लिए है?

तो आज ये समय आ गया है कि हमें गंभीरता से सोचना पड़ेगा। ये सरकार पूरी कोशिश करती है कि आपका ध्यान भटकाया जाए। अब आप सोचिए, कन्याकुमारी से कश्मीर तक एक आदमी चला, उसके साथ लाखों लोग चले। क्या पैगाम लेकर चला, किसलिए चला, उसके दिल में क्या भावना थी कि लाखों लोग देशभर से उससे जुड़कर चले, समता-एकता की भावना थी। आज आपकी सारी मीडिया, आपके सारे मंत्री, आपके सारे सांसद, आपके सारे कार्यकर्ता कह रहे हैं कि राहुल जी ने विदेश जाकर देश का अपमान किया। राहुल जी ने एक वर्ग का अपमान किया। क्या एक आदमी, जो कन्याकुमारी से लेकर 5,000 किलोमीटर तक चलकर, कश्मीर से ये रोज-रोज कहता है कि इस देश को एक होना चाहिए, सबको समान दृष्टि से देखना चाहिए, क्या ये आदमी देश का अपमान कर सकता है? क्या ये आदमी एक वर्ग का अपमान कर सकता है? तो ये आदमी क्या कर रहा है, ये आपकी आवाज उठा रहा है। ये क्या कह रहा है- कह रहा है कि गरीबों को उनका हक दो, नौजवानों को उनका हक दो, महिलाओं को उनका हक दो, यही तो कह रहा है और हक क्या है- हक ये है कि जो आपका है, वो आपके हाथों में जाना चाहिए। किसी बड़े उद्योगपति के हाथ में नहीं, जो प्रधानमंत्री जी के मित्र हैं। ये है आपका हक, उसी हक की लड़ाई लड़ रहा है।

तो आप समझिए, ये एक इंसान की बात नहीं है, ये एक राहुल गांधी की बात नहीं है, ये पूरे देश की बात है। जब हम कहते हैं कि लोकतंत्र को बचाना है, तो हम किसको बचाने की कह रहे हैं, क्या कह रहे हैं हम? लोकतंत्र क्या होता है, खुलकर जवाब मांगो, सवाल उठाओ। यही तो लोकतंत्र है कि आपको कोई आपत्ति है, कोई समस्या है, आप किसी के पास जाकर अपना हक मांग सकते हैं। आप कह सकते हैं कि भाई हमारे लिए ये क्यों नहीं किया? इतनी महंगाई क्यों है? हमारे लिए रोजगार क्यों नहीं बनाए हैं? लेकिन आज यही हक आपसे छीना जा रहा है और आपका ध्यान इधर-उधर भटकाया जाता है और इतनी चीजों को फैलाया जाता है, जो सच नहीं है, झूठ फैलाया जाता है।

आप सोचिए, राहुल गांधी दुनिया के दो जो सबसे बड़े शिक्षा के संस्थान हैं, वहाँ से पढ़कर आए हैं, हारवर्ड और कैम्ब्रिज। उनकी डिग्री है कैम्ब्रिज से, उन्होंने इकॉनमिक्स में मास्टर्स डिग्री, एम.फिल डिग्री उनको मिली, आप उसको पप्पू बनाते हैं। पूरे देशभर में आपकी सहायता के साथ मेरे मीडिया के दोस्तों, डिग्री आपने देखी नहीं, सच्चाई आपने देखी नहीं, उनको पप्पू बना दिया। फिर पता चला कि ये पप्पू तो यात्रा में निकल आया और पता चला कि ये तो पप्पू है ही नहीं, इसके साथ तो लाखों लोग चल रहे हैं, ये ईमानदार भी है, ये सब बातों को समझता भी है, ये जनता के बीच जा रहा है, जनता की समस्याओं को सुन रहा है, तो जनता इसके साथ चली जा रही है। तो घबरा गए कि राहुल गांधी ने संसद में वो सवाल उठाए, जिनका उनके पास जवाब नहीं है।

क्या किया, सुन लीजिए। एक तरफ से हंसी भी आती है कि एक आदमी को रोकने के लिए इतना सारा करना पड़ा। जिस आदमी ने राहुल जी के खिलाफ सूरत में कंप्लेंट लगाई, आपको मालूम है कि पिछले साल उसने खुद कचहरी में जाकर बोला कि इस पर आप स्टे लगा दीजिए। एक साल के लिए अपने ही केस पर स्टे लगवाया, फिर वापस कब गए केस खुलवाने के लिए, राहुल गांधी के संसद में अडानी पर भाषण देने के एक हफ्ते बाद वो आदमी वापस जाता है, कहता है, सुन लीजिए अब, हम तैयार हैं। एक महीने के अंदर-अंदर जज कह देते हैं कि राहुल गांधी को दो साल की सजा मिलेगी। आपने देखा इस देश में कितने केस हैं कि जेल में दसों साल के लिए पड़े रहते हैं, उनकी सुनवाई नहीं होती। ये तो सुनवाई भी फट से हो गई, जजमेंट फट से हो गया, सजा भी फट से हो गई और आपने कह दिया अगले दिन कि 8 सालों के लिए ये चुनाव नहीं लड़ सकते, संसद से बाहर कर देंगे इनको, वाह-वाह। बहुत धैर्य है आपमें (जनता को संबोधित करते हुए कहा)।

अरे कायर हैं, कायर हैं इस देश के प्रधानमंत्री। लगा दो केस मुझ पर, जेल ले जाओ मुझे भी, लेकिन सच्चाई ये है कि इस देश का प्रधानमंत्री कायर है। अपनी सत्ता के पीछे छुपा हुआ है, अहंकारी है और इस देश की बहुत पुरानी परंपरा है, हिंदू धर्म की पुरानी परंपरा है कि अहंकारी राजा को जनता जवाब देती है और इस देश की बहुत पुरानी परंपरा है कि अहंकारी राजा को ये देश पहचानता है।

परिवार ने मुझे एक चीज सिखाई है कि ये देश दिल से बोलता है और दिल से सुनता है। ये देश सच्चाई को पहचानता है और मैं जानती हूँ कि आज वो दिन है, जबसे सारा कुछ बदलने लगेगा। मेरे मीडिया के साथियों, मैं आपसे कहना चाहती हूँ, बहुत हो गया है, मैं जानती हूँ आप पर कितना दबाव है। मैं जानती हूँ कि आपको लाइन भेजी जाती है कि आज आपको ये कहना है, आपको ये लिखना है, लेकिन आपकी एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है, आज लोकतंत्र खतरे में है। अगर सरकार सवाल उठाने वाले को 8 सालों के लिए संसद से निकाल सकती है, अगर कह सकती है कि तुम्हें चुनाव लड़ने की ही इजाजत नहीं है, तो बहुत गड़बड़ है, बहुत गलत हो रहा है और ये लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है, ये इस देश के लिए ठीक नहीं है।

जब आप पत्रकार बने, शुरू-शुरू में जब आप काम के लिए आए, तो आपके दिल में भी ये होगी बात कि देश के लिए मैं सच्चाई बोलूँगा, मैं सच्चाई बोलूँगी, आज आप बोल नहीं पा रहे हैं, हिम्मत करिए, खड़े हो जाइए आप भी और जैसे खरगे जी ने कहा कि तमाम पार्टियों ने आज अपनी आवाज उठाई है, उनका हम सब धन्यवाद देते हैं और हम सबको एक होना पड़ेगा। इसलिए होना पड़ेगा, क्योंकि आज ये देश खतरे में है। आज इस देश की सारी संपत्ति एक आदमी को सौंपी जा रही है और उस आदमी को बचाने के लिए पूरी सरकार खड़ी हो जाती है। बहुत गलत हो रहा है अगर आज मेरे भाईयों और बहनों आप इसको पहचान नहीं पाएंगे, तो इस देश को बहुत खतरे में डाल देंगे। इसलिए यहाँ खड़े हुए महात्मा गांधी जी की समाधि के कुछ ही गज दूर खड़े हुए, मैं आपको याद दिलाती हूँ कि कितनों ने इस देश के लिए अपना खून बहाया है, कितनों ने इस देश की धरती, इस देश की आजादी के लिए अपना खून बहाया है, ये अफसर हैं, यहाँ तैनात खड़े हैं, इसी तरह से इनके भाई सरहद पर खड़े होते हैं, हमारे लिए, आज भी अपना खून बहा रहे हैं, क्या इसके लिए, क्या अडानी जी के लिए, कि अपने देश के किसान के लिए, अपने देश के गरीब के लिए, अपने देश के छोटे व्यापारियों के लिए, महिलाओं के लिए, अपने बच्चों के भविष्य के लिए हम सब अपनी जान देने के लिए तैयार हैं।

तो मैं आपसे आग्रह करती हूँ, मेरे देशवासियों, आँखें खोल लो। समय आ गया है, डरो मत। राहुल गांधी के शब्दों में डरो मत। इनका सामना करने का समय आ गया है, एकजुट हो जाओ, सामना करो, इस देश की सच्चाई को उबारो, इस देश की एकता को बनाए रखो और इस देश को आगे बढ़ाओ।

जय हिंद। जय हिंद। जय हिंद।