उरई(जालौन)।जनपद न्यायालय उरई के अधिवक्ता भवन के चैम्बर नम्बर 22 मे माता सावित्री बाई की 189 जयन्ती पर उनके चित्र पर अधिवक्ताओं द्वारा माल्यार्पण करते हुऐ याद किया।
प्रमोद कुमार कुशवाहा एडवोकेट ने कहा कि सावित्री वाई फूले का जन्म 3 जनवरी 1831 को हुआ था।इनके पिता का नाम खन्दोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मी था।सन् 1840ई0 मे उनका विवाह ज्योतिवाराव फूले से हुआ था।ये भारत की प्रथम महिला शिक्षिका,समाज सुधारिका एवं मराठी कवियत्री थी।उन्होने अपने पति ज्योतिराव गोविन्द राव फूले के साथ मिलकर स्त्री अधिकारो एवं शिक्षा के क्षेत्र मे उल्लेखनीय कार्य किये उन्हे आधुनिक मराठी काव्य का अग्रदूत माना जाता है। जब वे विद्यालय कन्याओं को पढ़ाने के लिये जाती थी।तो रास्ते मे लोग उन पर गंदगी,कीचड़, गोबर,तक फेका करते थे।
वही विवेक कुमार सैनी एडवोकेट ने कहा की सावित्री वाई फूले ने 1848 मे पुणे मे महिलाओ के लिऐ विद्यालय खोला।जबकि उस समय लड़कियो की शिक्षा पर पावन्दी थी।ऐसी विकराल समस्या के बीच लड़कियो का पढ़ाना बहुत कठिन था।पूरा जीवन उन्होने महिलाओं को शिक्षित एवं जागरूक करने को निकाल दिया। 10 मार्च सन् 1897 को प्लेग रोग से ग्रसित होने के कारण उनका निधन हो गया।
इसी क्रम में श्रीमती सुनीता सिंह एडवोकेट ने अपने विचार रखते हुऐ कहा कि सावित्री वाई फूले जब संघर्ष कर रही थी।और शिक्षा की जिद करने के कारण उनके ससुर ने घर से निकाल दिया था।तब अपने पति ज्योतिराव फूले के साथ अपने सहयोगी फातिमा शेख के घर जाकर निवास किया और फातिमा शेख को भी शिक्षित कर शिक्षा के प्रति जागरूक किया इस तरह फातिमा शेख पहली मुस्लिम महिला शिक्षका बनी। उन्होने सावित्री वाई फूले के साथ मिलकर महिलाओं और उत्पीड़ित जातियो के लोगो को शिक्षा देना शुरू किया।
वही प्रबल प्रताप सिंह एडवोकेट ने कहा कि सावित्री वाई फूले ने ही महिलाओ को शिक्षित किया जो वाद मे महिलाओं अध्यापक, डाक्टर,राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, राज्यपाल,मुख्यमंत्री,जज, आई0ए0एस0,पी0सी0एस0, जैसे सवैधानिक पदो पर सुशोभित होकर हमारे देश का नेतृत्व किया और समाज को मजबूत बनाने मे अपना अमूल्य सहयोग दिया।
इस मौके पर-रामशरण गौतम, अजय सोनी,ऋषि पटेल एड0, विनोद निगम,श्रीमती संगीता सिंह एड0, प्रदीप दीक्षित एड0 आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट-सुनीता सिंह के साथ अमित कुमार जिला क्राइम रिपोर्टर जालौन उरई।
📲7526086812